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पंचायत चुनाव से पहले सपा अलर्ट मोड में, आरक्षण और परिसीमन पर रखेगी पैनी नजर, जिम्मेदारियों का हुआ बंटवारा

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    ब्यूरो
  • 9 जून
  • 1 मिनट पठन

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आगामी पंचायत चुनावों को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) पूरी तरह सतर्क और सक्रिय हो गई है। पार्टी की रणनीति में आरक्षण और परिसीमन से जुड़े आंकड़ों पर बारीकी से नजर रखना प्रमुख बिंदु है, ताकि सत्ताधारी दल की ओर से किसी भी तरह की हेराफेरी को रोका जा सके। इस उद्देश्य से सपा ने जिलेवार पदाधिकारियों को विशेष जिम्मेदारियां सौंपी हैं, जबकि प्रदेश मुख्यालय स्तर पर वरिष्ठ नेताओं को समन्वय की जिम्मेदारी दी गई है। ताकि अगर कहीं कोई गड़बड़ी नजर आए, तो उसकी जानकारी तुरंत चुनाव आयोग तक पहुंचाई जा सके।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पहले ही यह संकेत दे चुके हैं कि भाजपा तकनीक और डाटा के दम पर पंचायत चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश कर सकती है। उनका कहना है कि सत्ताधारी दल आईटी विशेषज्ञों की मदद लेकर डाटा का दुरुपयोग कर सकता है। सूत्रों की मानें तो भाजपा परिसीमन के जरिए ग्राम पंचायतों की जातीय संरचना को प्रभावित करने का प्रयास कर सकती है, जिससे सपा के पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) समीकरण को नुकसान पहुंचे।

सपा नेतृत्व ने यह भी स्पष्ट किया है कि पार्टी न केवल आरक्षण के सही क्रियान्वयन पर निगरानी रखेगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगी कि इसमें किसी तरह की धांधली न हो। इसके लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि वे अपने गांव, क्षेत्र और जिले में अधिकारपूर्वक अपनी बात रख सकें।

सपा का साफ कहना है कि अगर कहीं भी गड़बड़ी या पक्षपात की कोशिश दिखाई दी, तो पार्टी चुनाव आयोग से लेकर न्यायालय तक जाने से पीछे नहीं हटेगी। पार्टी की यह सक्रियता दिखाती है कि पंचायत चुनावों में किसी भी प्रकार की अनियमितता को सपा गंभीरता से लेने वाली है।

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