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एमबीबीएस में फर्जी प्रमाणपत्र से दाखिले का खुलासा, अधिकारियों में हड़कंप

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    ब्यूरो
  • 1 दिन पहले
  • 3 मिनट पठन

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उत्तर प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित श्रेणी के नाम पर एमबीबीएस सीटों पर प्रवेश पाने के लिए बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। जांच में पता चला है कि कुछ छात्रों ने जिलाधिकारियों के हस्ताक्षर और सील की हूबहू नकल कर नकली प्रमाणपत्र तैयार करवाए और दाखिला ले लिया।

नीट-यूजी की ऑनलाइन काउंसलिंग में कड़े नियम और चेकलिस्ट होने का दावा किया गया था, लेकिन इस बार भी रैकेट ने सिस्टम में सेंध लगा दी। अभी तक जाति व अन्य श्रेणी के प्रमाणपत्रों में गड़बड़ी नहीं मिली है, हालांकि अब उनकी भी जांच शुरू हो गई है।

71 छात्रों ने किया प्रवेश

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रितों की संख्या बेहद सीमित होने के कारण इस श्रेणी पर आमतौर पर कम नजर जाती है। इसी का फायदा उठाकर फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह ने इस श्रेणी को निशाना बनाया। इस साल 79 छात्रों ने ऐसे प्रमाणपत्र प्रस्तुत किए, जिनमें से 71 को एडमिशन भी मिल गया। फिलहाल इनमें से 64 का प्रवेश रद्द कर दिया गया है और बाकी की जांच चल रही है।

जिलाधिकारियों की ओर से चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय को भेजी गई रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि प्रस्तुत किए गए कई प्रमाणपत्रों पर जिलाधिकारियों के हस्ताक्षर फर्जी पाए गए। यहां तक कि फर्जी दस्तावेज तैयार करने वालों ने उस समय के वास्तविक जिलाधिकारी का नाम व हस्ताक्षर तक कॉपी किए।

पुराने दाखिलों की भी होगी जांच


अब सिर्फ मौजूदा साल ही नहीं, बल्कि पिछले वर्ष इस श्रेणी में दाखिला लेने वाले छात्रों के प्रमाणपत्र भी छांटे जा रहे हैं। इनकी भी जिलेवार जांच कराई जाएगी।

निरस्त सीटें फिर काउंसलिंग में शामिल


जिन छात्रों का प्रवेश फर्जी प्रमाणपत्रों के कारण निरस्त हुआ है, उनकी सीटों को अगले चरण की काउंसलिंग में जोड़ा जाएगा। नियमावली के मुताबिक, किसी भी अभ्यर्थी का दस्तावेज फर्जी साबित होते ही प्रवेश स्वतः रद्द हो जाता है और उसकी जिम्मेदारी पूरी तरह छात्र की होती है।

अब हर प्रमाणपत्र होगा चरणवार सत्यापन


अब तक दाखिले के दौरान केवल नोडल सेंटर पर सत्यापन के बाद प्रक्रिया पूरी कर ली जाती थी और बाद में जिलाधिकारी कार्यालय को भेजा जाता था। लेकिन फर्जी प्रमाणपत्रों के खुलासे के बाद अब जाति और अन्य सभी प्रमाणपत्रों का भी चरणबद्ध सत्यापन होगा।

जिलाधिकारियों ने शुरू की कार्रवाई


चिकित्सा शिक्षा निदेशालय ने जिलों को फर्जीवाड़ा करने वाले छात्रों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। कई जिलों में मुकदमा दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। बलिया में भेजे गए 12 नामों में से 11 छात्रों के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए हैं और उन पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

अल्पसंख्यक कोटा भी निगरानी में


पिछले साल अल्पसंख्यक कोटे के तहत जैन, पारसी और ईसाई बनकर कई छात्रों ने दाखिला लिया था। मामला उजागर होने के बाद निजी कॉलेजों पर कार्रवाई की गई थी। इस बार भी ऐसे प्रमाणपत्रों की कड़ी जांच होगी।

कड़े कदम उठाने की मांग


पूर्व जिला न्यायाधीश बीडी नकवी का कहना है कि यह केवल फर्जीवाड़ा नहीं बल्कि गंभीर धोखाधड़ी का मामला है। दोषियों के खिलाफ तुरंत मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी जरूरी है, ताकि पूरे रैकेट का पर्दाफाश हो सके।

सरकार का रुख सख्त


उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा है कि फर्जी प्रमाणपत्रों से प्रवेश पाने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी। जिलाधिकारियों को निर्देश दिए जा चुके हैं और राज्य स्तर पर भी विशेष टीम बनाई जाएगी। यदि किसी गिरोह का हाथ सामने आता है तो उसे भी बेनकाब किया जाएगा।

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