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सात घंटे के भीतर राजधानी में दो धमाके, हर साल छिनती हैं जानें; पुलिस-प्रशासन की नाक के नीचे चल रहा कारोबार

  • लेखक की तस्वीर: संवाददाता
    संवाददाता
  • 3 दिन पहले
  • 2 मिनट पठन

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लखनऊ के गुडंबा थाना क्षेत्र के बेहटा गांव में रिहायशी इलाके के एक घर में पटाखे बनाने का अवैध कारोबार चल रहा था। इस गतिविधि की भनक न तो पुलिस को लगी और न ही प्रशासन को। स्थानीय खुफिया इकाई (एलआईयू) की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। बेहटा की घटना महज़ एक उदाहरण है, क्योंकि राजधानी के कई इलाकों में अवैध रूप से पटाखों का निर्माण और भंडारण किया जा रहा है। यह स्थिति सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकती है। हादसे के बाद अधिकारियों ने लाइसेंस की जांच की बात कही, लेकिन सवाल यही उठता है कि जब नुकसान हो चुका है तब जांच का क्या लाभ? समय रहते कार्रवाई की जाती तो शायद जानें बच सकती थीं।


यह पहला मौका नहीं है जब राजधानी में इस तरह की दुर्घटना हुई हो। पहले भी कई घरों में संचालित अवैध पटाखा फैक्ट्रियों में धमाके हो चुके हैं, जिनमें कई लोगों की मौत हो चुकी है। हर बार हादसे के बाद जांच की रस्म निभाई जाती है, लेकिन ठोस कदम उठाए नहीं जाते। बेहटा निवासी आलम के घर हुए विस्फोट के बाद भी यही स्थिति देखने को मिली। डीसीपी का कहना है कि आलम की भाभी खातूना के नाम पटाखा बनाने का लाइसेंस है, जबकि उनके बेटे वारिस ने भी लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। अब सवाल यह है कि यदि लाइसेंस खातूना के नाम पर था तो पटाखे आलम के घर में क्यों रखे गए थे? साथ ही, रिहायशी इलाके में पटाखा बनाने की अनुमति दी ही क्यों गई?


मुख्य अग्निशमन अधिकारी अंकुश मित्तल का स्पष्ट कहना है कि आलम के घर में अवैध तरीके से पटाखे तैयार किए जा रहे थे। इसी बीच, सुबह और शाम दोनों समय हुए विस्फोटों के बाद देर रात डीसीपी पूर्वी शशांक सिंह ने बेहटा चौकी इंचार्ज संतोष पटेल और सिपाही धर्मेश चाहर को निलंबित कर दिया।


रविवार सुबह करीब 11:30 बजे आलम (50) के मकान में जोरदार धमाका हुआ। विस्फोट इतना भयंकर था कि पूरा मकान ध्वस्त हो गया। आलम और उनकी पत्नी मुन्नी (48) की मौके पर मौत हो गई, जबकि छह लोग घायल हो गए। दो घायलों की हालत गंभीर है और उन्हें ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया है। धमाके की ताकत से आसपास के पांच मकान भी क्षतिग्रस्त हो गए और कई घरों में दरारें आ गईं।


आवाज इतनी तेज थी कि करीब एक किलोमीटर दूर तक सुनाई दी। स्थानीय लोग दहशत में घरों से बाहर निकल आए। जब लोग घटनास्थल पर पहुंचे तो मकान मलबे में तब्दील हो चुका था और जगह-जगह ईंटें बिखरी पड़ी थीं। पड़ोसियों नदीम, हूरजहां, जैद और इरम भी धमाके की चपेट में आकर घायल हो गए।


गांव वालों ने घटना के 24 मिनट बाद पुलिस कंट्रोल रूम को खबर दी। आधे घंटे बाद पुलिस और दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और मलबे से घायलों को बाहर निकाला। आलम और मुन्नी की मौत हो चुकी थी। घटना की जानकारी मिलते ही डीएम विशाख जी, जेसीपी-एलओ बबलू कुमार, डीसीपी पूर्वी शशांक सिंह, बम निरोधक दस्ता, डॉग स्क्वॉड, एसडीआरएफ और कई एंबुलेंस गांव पहुंच गए। घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भेजा गया और गंभीर रूप से घायल इरशाद और नदीम को ट्रॉमा सेंटर रेफर किया गया। अधिकारियों का कहना है कि विस्फोट के कारणों की जांच कराई जा रही है।

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