लखनऊ में आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन की नई उड़ान: फाइटर जेट और पनडुब्बियों के उन्नत उपकरण यहीं होंगे तैयार
- ब्यूरो
- 3 दिन पहले
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देश की रक्षा तैयारियों को आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और बड़ा बल मिलने जा रहा है। अब फाइटर जेट, पनडुब्बियों, एयरोइंजन और स्पेस मिशनों में इस्तेमाल होने वाले अत्याधुनिक उपकरणों का निर्माण लखनऊ में ही किया जाएगा। इन उपकरणों को बनाने में इस्तेमाल होने वाले टाइटेनियम और सुपर अलॉय मटेरियल की अब यूरोप से आयात पर निर्भरता खत्म होने वाली है।
दरअसल, पीटीसी इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने लखनऊ में एक अत्याधुनिक कॉम्प्लेक्स की स्थापना की योजना बनाई है, जहां ये हाई-टेक उपकरण देश में ही विकसित और निर्मित किए जाएंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आगामी सोमवार को ब्रह्मोस नेक्स्ट जनरेशन मिसाइल उत्पादन केंद्र के निकट इस परियोजना की आधारशिला रखेंगे।
यूरोपीय निर्भरता से मुक्ति
टाइटेनियम और सुपर अलॉय जैसे धातुओं से बने उपकरणों की आपूर्ति में यूरोपीय देशों से लगातार देरी हो रही थी, जिससे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को तेजस मार्क-2 जैसे लड़ाकू विमानों के इंजन तैयार करने में परेशानी हो रही थी। अब लखनऊ में होने वाला घरेलू उत्पादन इन समस्याओं का समाधान करेगा।
50 एकड़ में बनेगा 'स्ट्रैटजिक मटेरियल टेक्नोलॉजी कॉम्प्लेक्स'
डिफेंस कॉरिडोर के पास 50 एकड़ क्षेत्र में बनने वाले इस अत्याधुनिक परिसर में पांच प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित की जाएंगी। साथ ही, औद्योगिक विकास और तकनीकी दक्षता को बढ़ावा देने के लिए एक स्पेशल ट्रेनिंग और रिसर्च एकेडमी भी तैयार की जाएगी।
प्रस्तावित संयंत्रों की सूची:
एयरोस्पेस प्रिसिजन कास्टिंग प्लांट – उच्च गुणवत्ता वाले कास्टिंग कंपोनेंट्स का निर्माण
एयरोस्पेस फोर्जिंग और मिलिंग यूनिट – एयरक्राफ्ट ग्रेड धातुओं की फोर्जिंग और मशीनीकरण
एयरोस्पेस प्रिसिजन मशीनिंग प्लांट – अत्यंत सटीक उपकरणों की मैन्युफैक्चरिंग
स्ट्रैटजिक पाउडर मेटलर्जी फैसिलिटी – उन्नत धातु तकनीकों के लिए रिसर्च व प्रोडक्शन यूनिट
शोध और प्रशिक्षण के लिए बनेगा समर्पित केंद्र
इस परियोजना के तहत एक उच्च स्तरीय प्रशिक्षण एवं अनुसंधान केंद्र की भी स्थापना होगी, जहां रक्षा उत्पादन में उपयोग होने वाली तकनीकों पर अध्ययन और नवाचार को प्रोत्साहित किया जाएगा। पीटीसी इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन एवं एमडी, सचिन अग्रवाल ने बताया कि यह पहल न सिर्फ भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि लखनऊ को वैश्विक रक्षा तकनीक मानचित्र पर एक नई पहचान भी दिलाएगी।
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