योगी कैबिनेट का बड़ा फैसला: बनेगा "उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम", युवाओं को मिलेगा सीधा फायदा
- ब्यूरो

- 3 सित॰
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उत्तर प्रदेश सरकार ने आउटसोर्सिंग व्यवस्था को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में कुल 15 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। इसमें सबसे अहम फैसला कंपनियों अधिनियम-2013 की धारा-8 के तहत उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम लिमिटेड के गठन का रहा। यह एक पब्लिक लिमिटेड "नॉन-प्रॉफिट कंपनी" होगी।
अब प्रदेश के विभाग खुद से आउटसोर्स एजेंसियों का चयन नहीं करेंगे, बल्कि निगम यह काम जेम पोर्टल के जरिए पारदर्शी प्रक्रिया से करेगा। इसके तहत तीन साल की अवधि के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति होगी। कर्मचारियों को प्रतिमाह 16 से 20 हजार रुपये का मानदेय मिलेगा। साथ ही वेतन सीधे बैंक खाते में 1 से 5 तारीख के बीच जमा कर दिया जाएगा।
क्यों बनाया गया निगम?
वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि पहले एजेंसियां कई बार कर्मचारियों को तय मानदेय नहीं देती थीं और ईपीएफ व ईएसआई जैसे योगदान भी जमा करने में लापरवाही करती थीं। इन गड़बड़ियों को खत्म करने और कर्मचारियों के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए इस निगम का गठन जरूरी था।
नई व्यवस्था में विशेष प्रावधान
आउटसोर्सिंग की चयन प्रक्रिया लिखित परीक्षा और साक्षात्कार से होगी।
भर्ती में एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस, दिव्यांगजन, महिला और भूतपूर्व सैनिकों को आरक्षण मिलेगा।
महिलाओं को मातृत्व अवकाश का हक होगा।
कर्मचारियों की क्षमता बढ़ाने के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाएगा।
नौकरी के दौरान किसी कर्मचारी की मृत्यु पर परिवार को 15 हजार रुपये अंतिम संस्कार सहायता मिलेगी।
कर्मचारियों से महीने में 26 दिन कार्य लिया जाएगा।
ईपीएफ और ईएसआई की राशि अब सीधे कर्मचारियों के खातों में जाएगी।
किसी भी गड़बड़ी पर एजेंसी या कर्मचारी की सेवा तुरंत समाप्त की जा सकेगी।
अन्य फैसले
बैठक में नगरीय परिवहन से जुड़े प्रस्ताव को भी मंजूरी मिली। लखनऊ और कानपुर में 10 रूटों पर ई-बसें चलाई जाएंगी। हर बस की कीमत करीब 10 करोड़ होगी और इन्हें 12 साल के कॉन्ट्रैक्ट पर निजी ऑपरेटर संचालित करेंगे। सरकार किराया तय करेगी और चार्जिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराएगी।





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