यूपी में बिजली संकट: 42 जिलों में निजीकरण पर टकराव, आयोग में आज ऊर्जा विभाग और उपभोक्ता परिषद आमने-सामने
- संवाददाता

- 18 अग॰
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पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के 42 जिलों के निजीकरण का मुद्दा सोमवार को अहम मोड़ लेने वाला है। ऊर्जा विभाग निजीकरण प्रस्ताव लेकर विद्युत नियामक आयोग में पेश होने जा रहा है। विभाग ने इसके लिए अपनी रणनीति पहले ही तय कर ली है। दूसरी ओर, राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद भी आयोग पहुंचेगी और विधिक आपत्ति दर्ज कराते हुए निजीकरण योजना को रद्द करने की मांग करेगी।
जानकारी के मुताबिक, नियामक आयोग ने इससे पहले भी विभाग के प्रस्ताव में कई खामियां बताई थीं। अब ऊर्जा विभाग ने उन कमियों को दूर कर दोबारा प्रस्ताव तैयार किया है। सोमवार को विभाग की टीम आयोग अध्यक्ष के समक्ष दस्तावेज पेश करेगी और उन्हें संतुष्ट करने का प्रयास करेगी। विभाग की योजना है कि आयोग से मंजूरी मिलते ही आगे की कार्रवाई शुरू की जा सके।
उधर, उपभोक्ता परिषद का कहना है कि निजीकरण से जुड़े तमाम मामले सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में लंबित हैं, ऐसे में आयोग किसी भी प्रस्ताव पर मुहर नहीं लगा सकता। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पिछले पाँच वर्षों में नियामक आयोग द्वारा जारी सभी बिजली दर आदेशों को बिजली कंपनियों और पावर कॉरपोरेशन ने अपीलेट ट्रिब्यूनल में चुनौती दी है।
कर्मचारियों ने दी मौन प्रदर्शन की चेतावनी
रविवार को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की बैठक में तय हुआ कि यदि आयोग निजीकरण के दस्तावेजों को मंजूरी देता है तो आयोग कार्यालय पर मौन प्रदर्शन किया जाएगा। समिति ने आरोप लगाया कि यह पूरा प्रस्ताव निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाया गया है।
पदाधिकारियों ने यह भी याद दिलाया कि नियामक आयोग के वर्तमान अध्यक्ष अरविंद कुमार पूर्व में पावर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष रह चुके हैं और उन्होंने 5 अक्टूबर 2020 को संघर्ष समिति के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। उसमें स्पष्ट लिखा था कि प्रदेश में किसी भी क्षेत्र में बिजली का निजीकरण करने से पहले कर्मचारियों को विश्वास में लिया जाएगा। ऐसे में पूर्वांचल और दक्षिणांचल के निजीकरण के दस्तावेज को मंजूरी देना उस समझौते का सीधा उल्लंघन होगा।





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