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यूपी में बदलेंगे स्कूलों के अनुशासन नियम, छात्रों पर अब नहीं होगा कोई शारीरिक या मानसिक दंड

  • लेखक की तस्वीर: संवाददाता
    संवाददाता
  • 13 अग॰
  • 2 मिनट पठन

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प्रदेश के सरकारी और निजी विद्यालयों में छात्रों को दंडित करने के नियम अब बदल गए हैं। बेसिक शिक्षा विभाग ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि अब शिक्षक किसी भी छात्र को शारीरिक या मानसिक रूप से दंडित नहीं करेंगे। इसका अर्थ है कि न फटकार, न छड़ी से मारना, न चिकोटी काटना, न थप्पड़, और न ही किसी भी प्रकार की शारीरिक हिंसा की अनुमति होगी।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के निर्देशों के तहत यह आदेश लागू किया गया है। विभाग ने कहा है कि इसका व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए, ताकि बच्चे भी जान सकें कि वे ऐसे व्यवहार का विरोध कर सकते हैं और अपनी शिकायत संबंधित अधिकारियों तक पहुंचा सकते हैं।

महानिदेशक स्कूल शिक्षा, कंचन वर्मा ने सभी बीएसए को आदेश दिया है कि जिन स्कूलों में छात्रावास, जेजे होम्स या बाल संरक्षण गृह हैं, वहां बच्चों की शिकायत सुनने के लिए विशेष व्यवस्था बनाई जाए। इसमें किसी एनजीओ की मदद ली जा सकती है। प्रत्येक विद्यालय में शिकायत पेटिका होनी चाहिए, जिसकी समीक्षा अभिभावक-शिक्षक समिति करे और शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई हो। साथ ही, ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर बच्चों की शिकायत और कार्रवाई की नियमित समीक्षा की जाए।

आरटीई के नियमों के अनुसार, किसी भी बच्चे को शारीरिक दंड या मानसिक उत्पीड़न नहीं दिया जाएगा, और उल्लंघन करने वालों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। साथ ही, जाति, धर्म या लिंग के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव या दुर्व्यवहार भी प्रतिबंधित है।

पूरी तरह प्रतिबंधित कार्य

  • बच्चों को डांटना या झाड़ना

  • परिसर में दौड़ाना

  • चपत या थप्पड़ मारना

  • घुटनों के बल बैठाना

  • यौन शोषण या प्रताड़ना

  • कक्षा में अकेला बंद करना

  • बिजली का झटका देना

  • अपमानित करना या नीचा दिखाना

  • शारीरिक या मानसिक आघात पहुंचाना

शिकायत के लिए टोल फ्री नंबर छात्रों और अभिभावकों की शिकायतों के त्वरित निस्तारण के लिए टोल फ्री नंबर 1800-889-3277 जारी किया गया है। सभी स्कूल अपने नोटिस बोर्ड और मुख्य प्रवेश द्वार पर यह नंबर प्रदर्शित करेंगे। इस नंबर पर मिलने वाली शिकायतों की मॉनिटरिंग कर उचित कार्रवाई की जाएगी।

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