मोदी सरकार का ऐतिहासिक निर्णय: होगी जातीय जनगणना
- ब्यूरो
- 5 दिन पहले
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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लेते हुए जातीय जनगणना को हरी झंडी दे दी है। बुधवार को हुई कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स (CCPA) की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई, जिसके तहत अब आगामी जनगणना में जातिगत आंकड़ों को भी एकीकृत रूप से शामिल किया जाएगा।
जातिगत आंकड़े अब राष्ट्रीय जनगणना का हिस्सा
सरकार ने स्पष्ट किया है कि जातीय गणना को अलग से नहीं, बल्कि मुख्य जनगणना प्रक्रिया के तहत ही किया जाएगा। इससे न केवल सामाजिक संरचना की बेहतर समझ बन सकेगी, बल्कि सरकार को योजनाओं के प्रभावी निर्माण और क्रियान्वयन में भी मदद मिलेगी।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी जानकारी
बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि पहले की सरकारें जातीय जनगणना से बचती रही हैं। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस ने अपने राजनीतिक हितों के लिए केवल जाति सर्वे कराया, जबकि वास्तविक जनगणना में उसे कभी शामिल नहीं किया। कई राज्यों में अलग-अलग स्तर पर जाति आधारित सर्वे कराए गए, जिससे आंकड़ों को लेकर भ्रम की स्थिति बनी।
जातीय गणना से नीति निर्माण को मिलेगी मजबूती
सरकार का मानना है कि समावेशी विकास और सामाजिक न्याय के उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए जातिगत आंकड़े बेहद जरूरी हैं। यह निर्णय देशभर में लंबे समय से चली आ रही मांगों को भी संबोधित करता है, जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने जातीय जनगणना की आवश्यकता को बार-बार उठाया है।
राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर महत्वपूर्ण कदम
जातीय जनगणना को मंजूरी देना न केवल एक प्रशासनिक निर्णय है, बल्कि यह सामाजिक समानता और प्रतिनिधित्व को लेकर भी एक निर्णायक पहल माना जा रहा है। इससे भविष्य की नीतियों में वंचित तबकों को बेहतर हिस्सेदारी मिल सकेगी।
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