बाराबंकी कांड: पूरे जिले में अलर्ट, कमिश्नर और आईजी को मिली जांच की जिम्मेदारी, अखिलेश ने कहा- सरकार विफल
- ब्यूरो
- 2 दिन पहले
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यूपी के बाराबंकी में रामस्वरूप यूनिवर्सिटी में बिना मान्यता के पढ़ाई को लेकर विरोध कर रहे एबीवीपी कार्यकर्ताओं और छात्राओं पर पुलिस की बर्बर कार्रवाई के बाद मामला गरमा गया है। पुलिस लाठीचार्ज के विरोध में अब भाजपा नेता और संगठन के कार्यकर्ता भी खुलकर सामने आ गए हैं।
घटना की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त रुख अपनाया और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करते हुए सीओ सिटी हर्षित चौहान, कोतवाल आरके राणा और चौकी प्रभारी को हटा दिया गया है। सीएम ने यूनिवर्सिटी की मान्यता की जांच अयोध्या मंडलायुक्त को सौंपते हुए छात्रों पर हुए लाठीचार्ज की पड़ताल आईजी प्रवीण कुमार को करने के निर्देश दिए।
जिलेभर में अलर्ट घोषित कर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। शहर और आस-पास के क्षेत्रों में पुलिस बल की तैनाती के साथ ही यूनिवर्सिटी परिसर में एंबुलेंस, दमकल वाहन और भारी सुरक्षा मौजूद है। इस समय कैंपस पूरी तरह शांत पड़ा है।
छात्रों का आरोप है कि संस्थान बिना बार काउंसिल ऑफ इंडिया की मान्यता के लॉ की पढ़ाई करवा रहा है। साथ ही मामूली फीस बकाया रहने पर भी हजारों रुपये का जुर्माना लगाया जाता है।
घटनाक्रम संक्षेप में:
29 अगस्त: छात्रों ने मान्यता न होने का विरोध करते हुए कैंपस में हंगामा किया और आंदोलन की चेतावनी दी, लेकिन मौके पर थाना प्रभारी तक नहीं पहुंचे।
1 सितंबर (सुबह): छात्राओं ने फीस वापसी और मान्यता की मांग को लेकर प्रदर्शन शुरू किया। इसके बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने दो छात्रों को निलंबित कर दिया।
1 सितंबर (दोपहर): मुख्यमंत्री ने पूरे मामले पर सख्ती दिखाई और सीओ सिटी, कोतवाल व चौकी इंचार्ज को हटाया। यूनिवर्सिटी की मान्यता जांच अयोध्या कमिश्नर को और लाठीचार्ज की जांच आईजी प्रवीण कुमार को सौंपी गई।
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