फर्जी प्रमाणपत्रों से नौकरी करने वाले 22 शिक्षक बर्खास्त, एफआईआर दर्ज करने के आदेश
- संवाददाता

- 21 अग॰
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प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इंटर कॉलेजों में तैनात 22 ऐसे शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी है, जिन्होंने फर्जी अंकपत्र और प्रमाणपत्र के आधार पर नियुक्ति पाई थी। विभाग ने न केवल इन शिक्षकों को नौकरी से बाहर किया है, बल्कि उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने और वेतन की रिकवरी कराने के निर्देश भी दिए हैं।
जानकारी के अनुसार, 2014 में एलटी ग्रेड (सहायक अध्यापक) के पदों पर भर्ती का विज्ञापन जारी हुआ था और 2016 में चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति की गई थी। चूंकि चयन प्रक्रिया मेरिट के आधार पर हुई थी, इसलिए कुछ उम्मीदवारों ने अंक बढ़ाने के लिए जाली मार्कशीट और प्रमाणपत्रों का सहारा लिया। दस्तावेज़ों के सत्यापन में संदेह होने पर विभाग ने कई बार जांच कराई और अंततः यह धोखाधड़ी सामने आई।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने बताया कि आजमगढ़ मंडल के संयुक्त निदेशक की अध्यक्षता वाली जांच समिति ने सभी 22 अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्रों को कूटरचित और अवैध पाया। इसी आधार पर उनकी सेवा समाप्त कर दी गई है। साथ ही जिला विद्यालय निरीक्षकों को एफआईआर दर्ज कराने और वेतन की वसूली करने के निर्देश दिए गए हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि यह सवाल भी गंभीर है कि दस्तावेज़ों के सत्यापन में लगभग एक दशक क्यों लग गया।
मोनार्ड और संपूर्णानंद विवि की जाली मार्कशीट
जांच में सामने आया कि इन शिक्षकों ने मोनार्ड यूनिवर्सिटी हापुड़ और संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी की फर्जी मार्कशीट लगाकर नौकरी हासिल की थी। दोनों विश्वविद्यालयों का नाम हाल ही में फर्जी डिग्री और प्रमाणपत्र के मामलों में भी सामने आ चुका है।
बर्खास्त शिक्षकों की सूची विनय कुमार , पवन कुमार, अतुल प्रकाश वर्मा, अंकित वर्मा, लक्ष्मी देवी, विवेक सिंह, राज रजत वर्मा, रोहिणी शर्मा, अमित गिरी, रुचि सिंघल, प्रियंका, नूतन सिंह, दीपा सिंह, अनीता रानी, प्रीति सिंह, नंदिनी, आनंद सोनी, गीता, सलोनी अरोरा, किरन मौर्या, रुमन विश्वकर्मा और सरिता मौर्य।





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