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नेपाल में लश्कर-ए-ताइबा और जैश-ए-मोहम्मद की बढ़ी सक्रियता, सीमा पर अलर्ट

  • लेखक की तस्वीर: संवाददाता
    संवाददाता
  • 26 सित॰
  • 2 मिनट पठन

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जेन-जी आंदोलन के बाद आतंकी संगठन लश्कर-ए-ताइबा और जैश-ए-मोहम्मद ने नेपाल में अपनी सक्रियता तेज कर दी है। पाकिस्तान बॉर्डर से घुसपैठ की नाकामी के बाद अब दोनों संगठन नेपाल के रास्ते भारत में प्रवेश की साजिश रच सकते हैं। इसे देखते हुए नेपाल सीमा पर अलर्ट जारी कर दिया गया है और सुरक्षा एजेंसियों ने निगरानी कड़ी कर दी है।

सुरक्षा एजेंसियां दोनों संगठनों के स्लीपर सेल पर भी नजर रख रही हैं। इससे पहले 10 जुलाई को काठमांडो में आयोजित एनआईआईसीई सेमिनार में भी नेपाल के जरिए घुसपैठ की आशंका जताई गई थी। एजेंसियों के मुताबिक, इस्लामी संघ ऑफ नेपाल (आईएसएन) और वर्क फॉर नेपाल जैसे संगठन इन आतंकी संगठनों की मदद कर सकते हैं, जिन्हें काठमांडो स्थित पाकिस्तानी दूतावास से समर्थन मिल रहा है। इनके जरिए आतंकियों को फंडिंग और सेफ शेल्टर मुहैया कराया जा सकता है।

आईबी के पूर्व अधिकारी संतोष सिंह के अनुसार, नेपाल में मौजूदा हालात की पृष्ठभूमि फरवरी में ही तैयार होने लगी थी। 8 और 9 फरवरी को आईएसएन ने सुनसरी (नेपाल) में तबलीग-उल-इस्लाम का दो दिवसीय जलसा आयोजित किया था, जिसमें पाकिस्तानी और बांग्लादेशी संदिग्ध शामिल हुए थे। इसे नेपाल और भारत के सीमावर्ती इलाकों में जनसांख्यिकीय बदलाव से जोड़कर देखा जा रहा है। अब जेन-जी आंदोलन का फायदा उठाकर सीमा पार घुसपैठ की साजिश रची जा रही है, साथ ही नेपाल में भारत विरोधी माहौल बनाने की कोशिश हो रही है।

नेपाल कांग्रेस के पूर्व सांसद अभिषेक प्रताप शाह ने बताया कि 10 जुलाई 2025 को काठमांडो में एनआईआईसीई के अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में 1751 किमी लंबी भारत-नेपाल खुली सीमा को लेकर चिंता जताई गई थी। उस दौरान नेपाल के राष्ट्रपति के तत्कालीन सलाहकार सुनील बहादुर थापा ने कहा था कि लश्कर-ए-ताइबा, जैश-ए-मोहम्मद और अल-कायदा भारत विरोधी गतिविधियों के लिए नेपाल का इस्तेमाल कर रहे हैं।


एसएसबी की 42वीं बटालियन के डिप्टी कमांडेंट दिलीप कुमार ने बताया कि नेपाल में हालात बदलने के बाद से ही बॉर्डर पर सख्त चौकसी की जा रही है। सीमा पार आने-जाने वालों की गहन जांच हो रही है और वन क्षेत्रों में भी निगरानी बढ़ाई गई है।

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