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“गंभीर बीमार बंदियों की रिहाई की प्रक्रिया को आसान और मानवीय बनाएं” – सीएम योगी

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    ब्यूरो
  • 2 दिन पहले
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लखनऊ में सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सरकारी आवास पर कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवा विभाग की समीक्षा बैठक की। बैठक में उन्होंने निर्देश दिए कि गंभीर बीमारियों से पीड़ित कैदियों की समयपूर्व रिहाई के नियमों को अधिक सहज और मानवीय बनाया जाए। उन्होंने कहा कि हर साल जनवरी, मई और सितंबर में पात्र बंदियों की स्वतः समीक्षा होनी चाहिए। यदि किसी को रिहाई से वंचित किया जाए तो उसका कारण स्पष्ट रूप से दर्ज हो और कैदी को उस निर्णय को चुनौती देने का अधिकार मिले। अधिकारियों ने जानकारी दी कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) द्वारा सुझाई गई व्यवस्था को प्रदेश में लागू करने पर विचार किया जा रहा है, ताकि बंदियों को न्यायिक अधिकारों का लाभ सुगमता से मिल सके। जनवरी 2025 से अब तक 581 बंदियों की रिहाई हो चुकी है।

मुख्यमंत्री ने जोर दिया कि यह पूरी प्रक्रिया निष्पक्ष, त्वरित और संवेदनशील हो। उन्होंने नई नीति का मसौदा जल्द तैयार कर अनुमोदन हेतु प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।

सर्वे कर बीमार कैदियों की संख्या तय करें सीएम योगी ने कहा कि सभी जेलों में सर्वे कर यह आकलन किया जाए कि कितने बंदी गंभीर या प्राणघातक बीमारियों से जूझ रहे हैं। ऐसे कैदियों को प्राथमिकता दी जाए, जिनके रिहा होने पर स्वस्थ होने की संभावना हो, या जो वृद्धावस्था, बीमारी या अशक्तता के कारण आगे अपराध करने में अक्षम हैं। जिन कैदियों के बारे में चिकित्सकीय दृष्टि से मृत्यु की संभावना निकट भविष्य में हो, विशेषकर महिलाएं और बुजुर्ग, उनकी शीघ्र रिहाई की व्यवस्था की जाए।

जघन्य अपराधियों को रिहाई का लाभ नहीं उन्होंने स्पष्ट किया कि हत्या, आतंकवाद, देशद्रोह, महिलाओं और बच्चों से जुड़े गंभीर अपराधों में दोषी पाए गए कैदियों की रिहाई कतई न की जाए। सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए नीति को पारदर्शी और प्रभावी बनाया जाए। पात्र बंदियों की रिहाई स्वतः विचाराधीन हो, इसके लिए अलग से आवेदन की आवश्यकता न हो।

केवल असाध्य रोगियों को मिले समयपूर्व रिहाई सीएम योगी ने कहा कि जेल मैनुअल में स्पष्ट परिभाषा होनी चाहिए कि किन बीमारियों को असाध्य माना जाएगा। समयपूर्व रिहाई केवल उन्हीं मामलों में दी जाए, जहां समाज को किसी प्रकार का खतरा न हो। इसके साथ ही कैदियों को कृषि, गोसेवा जैसे कार्यों से जोड़कर उनकी जेल अवधि को उपयोगी बनाने पर भी उन्होंने बल दिया।

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