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एआरपी परीक्षा में शिक्षकों की योग्यता पर सवाल: कक्षा 8 के हिंदी और अंग्रेजी प्रश्न पत्र में फेल हुए गुरुजी

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    संवाददाता
  • 22 मार्च
  • 2 मिनट पठन

संवाददाता | मार्च 22, 2025


बिजनौर। बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित एआरपी (एकेडमिक रिसोर्स पर्सन) परीक्षा में शिक्षकों की योग्यता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। परीक्षा परिणामों के अनुसार, अंग्रेजी विषय में कोई भी शिक्षक उत्तीर्ण नहीं हो सका, जबकि हिंदी में 10 में से 7 शिक्षक फेल हो गए। कुल 99 शिक्षकों में से केवल 65 ही परीक्षा पास कर सके।

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परिणाम चिंताजनक, अंग्रेजी में शत-प्रतिशत फेल

बिजनौर जिले में 11 ब्लॉकों और जिला मुख्यालय को मिलाकर कुल 60 एआरपी पदों के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसमें 99 शिक्षकों ने भाग लिया। परीक्षा में विभिन्न विषयों में सफलता का प्रतिशत अलग-अलग रहा, लेकिन अंग्रेजी विषय की परीक्षा में सभी 7 शिक्षक फेल हो गए। हिंदी में भी स्थिति संतोषजनक नहीं रही, जहां 10 में से केवल 3 शिक्षक ही पास हो सके


विभागीय परीक्षा परिणाम

विषय

उपस्थित

उत्तीर्ण

अनुत्तीर्ण

विज्ञान

22

22

00

गणित

40

30

10

सामाजिक विज्ञान

20

10

10

हिंदी

10

03

07

अंग्रेजी

07

00

07

योग

99

65

34


नहीं होगी तत्काल नियुक्ति

जिला समन्वयक प्रशिक्षक विवेक बंसल ने स्पष्ट किया कि परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले शिक्षकों को अभी नियुक्ति नहीं दी जाएगी। अगले चरण में उन्हें स्कूलों में माइक्रो टीचिंग करनी होगी, जिसे विषय विशेषज्ञों द्वारा परखा जाएगा। इसके बाद साक्षात्कार प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही अंतिम चयन किया जाएगा।


कमजोर प्रदर्शन पर अधिकारियों की प्रतिक्रिया

बेसिक शिक्षा अधिकारी योगेंद्र कुमार ने परीक्षा परिणामों को चिंताजनक बताया और कहा कि अंग्रेजी में शून्य सफलता दर और हिंदी में कमजोर प्रदर्शन की समीक्षा की जाएगी। उन्होंने संकेत दिया कि रिक्त पदों के लिए दोबारा परीक्षा आयोजित की जा सकती है


पूर्व में निलंबन भी हो चुका है

एआरपी परीक्षा को लेकर पहले भी विवाद हो चुके हैं। जनवरी में एक शिक्षक ने परीक्षा प्रक्रिया को लेकर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसके बाद उसे निलंबित कर दिया गया था।


क्या है एआरपी की भूमिका?

एआरपी (अकादमिक रिसोर्स पर्सन) का कार्य छात्रों की शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारना है। उन्हें विभिन्न स्कूलों में जाकर पढ़ाने की जिम्मेदारी दी जाती है। लेकिन परीक्षा परिणामों ने शिक्षकों की योग्यता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब यह देखना होगा कि शिक्षा विभाग इस स्थिति को सुधारने के लिए क्या कदम उठाता है।


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