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उत्तर प्रदेश में एआइ हब बनाने की दिशा में सरकार की नई पहल, छह विभागों से होगा कौशल उन्नयन

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    ब्यूरो
  • 2 मई
  • 2 मिनट पठन


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लखनऊ: उत्तर प्रदेश को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के क्षेत्र में प्रमुख केंद्र बनाने के लिए राज्य सरकार ने कौशल उन्नयन कार्यक्रम को लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके तहत छह प्रमुख विभागों के माध्यम से प्रदेश में एआइ की ट्रेनिंग दी जाएगी, जिससे बड़े पैमाने पर एआइ के जानकार पेशेवर तैयार किए जाएंगे।

राज्य के सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग द्वारा तैयार की गई योजना के अनुसार, प्रदेश के शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, ग्रामीण विकास, राजस्व और सचिवालय प्रशासन विभाग एआइ तकनीकी कौशल विकास के कार्यक्रम चलाएंगे। इन विभागों का उद्देश्य प्रदेश में एआइ आधारित कार्यबल तैयार करना है, जो भविष्य की जरूरतों को पूरा कर सके।

सभी कार्यों की प्रगति की निगरानी के लिए राज्य और जिला स्तर पर अलग-अलग कमेटियों का गठन किया जाएगा। राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनाई जाएगी, जबकि जिला स्तर पर जिलाधिकारी (डीएम) और मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) इसकी अध्यक्षता करेंगे। इन कमेटियों का मुख्य कार्य हर महीने एआइ प्रशिक्षण कार्यक्रमों की प्रगति की समीक्षा करना होगा, और उसी आधार पर कार्यवाही की जाएगी।

विभागों द्वारा दी जाने वाली ट्रेनिंग:

  • शिक्षा विभाग: स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में एआइ आधारित पाठ्यक्रम चलाए जाएंगे।

  • स्वास्थ्य विभाग: चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टाफ और स्वास्थ्य विशेषज्ञों को एआइ तकनीकों के इस्तेमाल के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।

  • कृषि विभाग: कृषि क्षेत्र में एआइ का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा।

  • ग्रामीण विकास विभाग: ग्रामीण इलाकों में काम कर रही महिलाओं और एनजीओ कर्मियों को एआइ के उपयोग के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।

  • राजस्व और सचिवालय प्रशासन विभाग: इन विभागों के सभी कर्मचारियों को एआइ तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा।

योजना का लक्ष्य: सरकार का लक्ष्य है कि हर महीने लगभग 1.5 लाख लोगों को एआइ तकनीकों में दक्ष किया जाए। अगले चार से छह महीनों में करीब 10 लाख लोग एआइ के क्षेत्र में कौशल प्राप्त करेंगे। इस पहल को सफल बनाने के लिए राज्य के सेंटर फॉर ई-गवर्नेंस (सीईसी) को नोडल एजेंसी के रूप में काम सौंपा गया है।

यह पहल न केवल प्रदेश में एआइ के क्षेत्र में एक नया मुकाम स्थापित करने में मदद करेगी, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न करेगी, जो उत्तर प्रदेश को तकनीकी हब के रूप में स्थापित करेगा।

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