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हौसलों की मिसाल बनी दृष्टिबाधित बानी, हाईस्कूल में 95.4% अंक प्राप्त कर रचा इतिहास

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    ब्यूरो
  • 5 दिन पहले
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अपने पिता के साथ बानी
अपने पिता के साथ बानी

लखनऊ की एक होनहार छात्रा बानी चावला ने यह साबित कर दिया कि सच्ची लगन और मेहनत के सामने कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती। दृष्टिबाधित होने के बावजूद बानी ने आईसीएसई हाईस्कूल परीक्षा में 95.4 प्रतिशत अंक हासिल कर न केवल अपने परिवार का, बल्कि पूरे शहर का नाम रोशन कर दिया है। उनकी इस उपलब्धि ने यह दिखा दिया है कि सीमाएं शरीर की नहीं, सोच की होती हैं।

दृढ़ संकल्प और तकनीक से किया पढ़ाई को आसान

बानी, जो जन्म के छह महीने बाद से दृष्टिबाधित हैं, ने अपनी पढ़ाई में तकनीक और आत्मविश्वास का बेहतरीन उपयोग किया। उन्होंने यूट्यूब से ऑडियो लेक्चर सुनकर कठिन विषयों की तैयारी की। बानी की स्मरण शक्ति इतनी तेज़ है कि एक बार पढ़ाया गया पाठ उन्हें तुरंत याद हो जाता है। परीक्षा के दौरान उन्हें एक राइटर की मदद मिली, जिसे बानी उत्तर बोलकर बताती थीं और वह कॉपी में लिखता था।

परिवार बना मजबूत आधार

बानी की इस सफलता के पीछे उनके माता-पिता का भी बड़ा योगदान है। पिता विशाल चावला बताते हैं कि मां श्वेता चावला ने बेटी की पढ़ाई को एक मिशन की तरह लिया और पूरे समर्पण से उसकी तैयारी करवाई। इसके अलावा उन्होंने एक विशेष ट्यूटर भी लगाया, जिसने बानी की पढ़ाई को व्यवस्थित और प्रभावी बनाया।

सपना: आईएएस बनना

बानी सिर्फ पढ़ाई में ही नहीं, संगीत में भी पारंगत हैं। उन्होंने प्रयागराज से संगीत का कोर्स किया है और एक प्रशिक्षित गायिका भी हैं। लेकिन उनका सपना है—देश की सेवा करने वाला एक आईएएस अधिकारी बनना। इसके लिए उन्होंने अभी से तैयारी शुरू कर दी है।

नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड ने निभाई अहम भूमिका

बानी की सफलता में नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड का भी योगदान रहा, जो शुरू से ही उनके साथ जुड़ा रहा और उन्हें शिक्षण संसाधन व नैतिक सहयोग प्रदान करता रहा।

प्रेरणा बनी बानी

बानी की कहानी आज उन हजारों छात्रों और अभिभावकों के लिए प्रेरणा है, जो किसी शारीरिक चुनौती को अपने सपनों की राह में दीवार मानते हैं। उन्होंने दिखा दिया कि अगर इरादा पक्का हो, तो राहें खुद बनती हैं।

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