एक ओर रिकॉर्ड बिजली आपूर्ति का दावा, दूसरी ओर गांवों में कटौती से हाहाकार
- ब्यूरो
- 23 घंटे पहले
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में एक तरफ सरकार बिजली आपूर्ति के नए रिकॉर्ड बनाने के दावे कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर ग्रामीण इलाकों में तय रोस्टर से भी कम बिजली मिलने से उपभोक्ता परेशान हैं। तेज गर्मी के इस दौर में लोगों को राहत मिलने की बजाय बिजली कटौती ने मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
राज्य में बिजली की मांग 31,486 मेगावाट तक पहुंच चुकी है और पॉवर कॉर्पोरेशन का दावा है कि उपभोक्ताओं की मांग को पूरा किया जा रहा है। लेकिन जमीनी हालात इससे उलट हैं। रोस्टर के मुताबिक निर्धारित आपूर्ति भी पूरी नहीं की जा रही।
कहां कितना कटौती:
ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घंटे की आपूर्ति तय है, लेकिन औसतन 17 घंटे 26 मिनट ही बिजली मिल रही है।
नगर पंचायत क्षेत्रों में 21 घंटे 30 मिनट की जगह केवल 21 घंटे बिजली दी गई।
बुंदेलखंड में तय 20 घंटे की बजाय 19 घंटे 30 मिनट ही आपूर्ति हो सकी।
इसके अलावा, स्थानीय फॉल्ट और लाइन ब्रेकडाउन की वजह से कई इलाकों में बिजली और भी कम समय के लिए रही।
बिजली परिषद ने उठाए सवाल:
विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने ऊर्जा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि नियमों के अनुसार प्रदेश के प्रत्येक उपभोक्ता को 24 घंटे बिजली मिलनी चाहिए, लेकिन विभाग ने रोस्टर प्रणाली लागू कर उपभोक्ताओं को पहले ही सीमित कर दिया है।
उन्होंने ऊर्जा मंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि “रिकॉर्ड आपूर्ति” के दावे हवा में किए जा रहे हैं। जैसे ही मांग का रिकॉर्ड बनता है, कई क्षेत्रों में ट्रिपिंग और ब्रेकडाउन शुरू हो जाते हैं, जिससे ग्राफ गिर जाता है। ऐसे में कुछ मिनट की आपूर्ति को “रिकॉर्ड” कहना भ्रामक है।
हकीकत उजागर कर रहे आंकड़े: विभागीय आंकड़े खुद गवाही दे रहे हैं कि असलियत में बिजली की आपूर्ति रोस्टर से भी पीछे चल रही है। खासकर ग्रामीण और अर्धशहरी इलाकों में बिजली संकट विकराल होता जा रहा है, जिससे आम जनजीवन प्रभावित हो रहा है।
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