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21 जुलाई की जनसुनवाई का विरोध करेंगे बिजली कर्मचारी, दरों में बढ़ोतरी और निजीकरण पर तीखी नाराजगी

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    ब्यूरो
  • 19 जुल॰
  • 2 मिनट पठन

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उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण को लेकर विरोध लगातार तेज होता जा रहा है। इसी क्रम में 21 जुलाई को लखनऊ में होने वाली जनसुनवाई को लेकर बिजली कर्मचारियों, उपभोक्ताओं और किसानों ने मोर्चा खोल दिया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने विरोध की तैयारी शुरू करते हुए व्यापक जनसंपर्क अभियान शुरू कर दिया है, जबकि राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद बिजली दरों से जुड़ी तकनीकी विसंगतियों को उजागर करने की रणनीति बना रही है।

जनसुनवाई के बाद उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग बिजली दरों को अंतिम रूप देगा। इस बीच, वाराणसी से लेकर मेरठ तक हुई जनसुनवाई में लोगों ने निजीकरण का विरोध करते हुए इसे रद्द करने की मांग की थी। अब लखनऊ में होने वाली सुनवाई को लेकर भी विरोध का माहौल बन चुका है।

24022 करोड़ के घाटे का हवाला, 45% तक दर बढ़ोतरी का प्रस्ताव पूर्वांचल, दक्षिणांचल, पश्चिमांचल, मध्यांचल और केस्को ने नियामक आयोग में लगभग ₹1.13 लाख करोड़ की वार्षिक राजस्व आवश्यकता दाखिल की है। वर्ष 2025-26 के लिए करीब ₹86952 करोड़ की बिजली खरीद का अनुमान है। वहीं, सरकार द्वारा ₹17511 करोड़ की सब्सिडी दिए जाने की बात कही गई है। इसके बावजूद पॉवर कॉर्पोरेशन ने ₹19644 करोड़ के राजस्व अंतर और ₹24022 करोड़ के कुल घाटे की बात कही है। इसके आधार पर औसतन 28% और घरेलू उपभोक्ताओं के लिए लगभग 45% तक बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया गया है।

कर्मचारियों पर उत्पीड़न के आरोप, स्मार्ट मीटर और वेतन रोके जाने पर नाराजगी संघर्ष समिति का आरोप है कि पॉवर कॉर्पोरेशन बिजली कर्मचारियों का मनोबल गिराने के लिए उत्पीड़न कर रहा है। कर्मचारियों के घरों पर रियायती दर पर मिलने वाली बिजली की सुविधा को समाप्त करने के लिए स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं, जो पूरी तरह अनुचित है। इसके अलावा, डिजिटल हाजिरी की अनिवार्यता के नाम पर जून महीने में करीब छह हजार से अधिक कर्मचारियों का वेतन रोक दिया गया है।

उपभोक्ताओं का पैसा लौटाओ, फिर बढ़ाओ दरें: उपभोक्ता परिषदराज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि जब तक उपभोक्ताओं का निगमों पर बकाया ₹33122 करोड़ वापस नहीं किया जाता, तब तक बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने दो टूक कहा कि दरें बढ़ाने और निजीकरण की योजनाओं का विरोध लगातार जारी रहेगा और इसे किसी भी सूरत में लागू नहीं होने दिया जाएगा। जनसुनवाई में हर वर्ग के लोगों की भागीदारी इस विरोध को और मजबूत बना रही है।

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