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165 करोड़ की टैक्स चोरी का मामला: चार वरिष्ठ राज्य कर अधिकारी जांच के घेरे में, मसाला कंपनी पर आरोप

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    ब्यूरो
  • 4 मई
  • 2 मिनट पठन

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उत्तर प्रदेश के कर विभाग में एक बड़ा घोटाला उजागर हुआ है, जिसमें चार वरिष्ठ अधिकारी टैक्स चोरी के एक गंभीर मामले में जांच के दायरे में आ गए हैं। यह मामला कानपुर की एक मसाला और तंबाकू उत्पादक फर्म से जुड़ा है, जिसके खिलाफ 165 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी की पुष्टि हुई है।

राज्य कर विभाग की विशेष जांच शाखा द्वारा की गई जांच में पाया गया कि फर्म के पास आठ उच्च गति वाली पैकेजिंग मशीनें थीं, जिनमें से प्रत्येक की क्षमता 2000 पाउच प्रति मिनट है। जबकि विभागीय मानक के अनुसार एक मशीन की औसत उत्पादन क्षमता 1000 पाउच मानी जाती है। इसके बावजूद जांच अधिकारियों ने केवल 400 पाउच प्रति मिनट की क्षमता के आधार पर रिपोर्ट तैयार की।

इतना ही नहीं, आठ मशीनों के बजाय सिर्फ एक मशीन को आधार बनाकर उत्पादन और टैक्स गणना की गई। इस गलत रिपोर्टिंग के चलते करीब 600 करोड़ रुपये के टर्नओवर को जानबूझकर छुपाया गया, जिससे सरकार को 165 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ।

इस पूरे प्रकरण में एक अपर आयुक्त, एक संयुक्त आयुक्त और दो उपायुक्त स्तर के अधिकारी शामिल हैं। जांच रिपोर्ट पर आधारित आदेश भी संबंधित निर्धारण अधिकारी ने पारित कर दिया था।

गंभीर अनियमितताओं को देखते हुए अपर आयुक्त (ग्रेड वन) ने चारों अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट जारी करने की संस्तुति करते हुए रिपोर्ट शासन को भेज दी है। लेकिन कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही चार्जशीट की संस्तुति करने वाले अधिकारी को उनके मूल पद से हटाकर मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया है।

यह मामला न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि यह भी सवाल खड़े करता है कि क्या कर चोरी के मामलों में प्रभावशाली तत्वों को बचाने की कोशिशें की जा रही हैं।

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