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प्रतिदिन घट रही मखाना की मांग

विनोद यादव

सुरम्य पोस्ट | नवम्बर 5, 2024


ठंड के मौसम में सूखे मेवे की मांग स्वतः ही बढ़ जाती है, पर मखाना की मांग दिन प्रतिदिन कम पड़ती जा रही है, जिसका मुख्य कारण मखाना के गुणकारी पक्ष को न जानना लगता है।


मखाना की प्रजाति हुबहु कमल से मिलती जुलती है,अंतर इतना की मखाना के पौधे बहुत कांटेदार होते हैं, इतने कंटीले कि उस जलाशय में कोई जानवर भी पानी पीने के लिए नहीं जाता है।


यह तालाब,नदी,और खेतो में पानी भरकर भी पैदा किया जा सकता है। इसकी खेती मुख्य रूप से मिथिलांचल में होती है।


बिहार मिथिलांचल की पहचान के बारे में कहा जाता है- 'पग-पग पोखरि माछ मखान' यानी इस क्षेत्र की पहचान पोखर (तालाब), मछली और मखाना से जुड़ी हुई है।

बिहार के दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया, किशनगंज, अररिया सहित 10 जिलों में मखाना की खेती होती है।


देश में बिहार के अलावा असम, पश्चिम बंगाल और मणिपुर में भी मखाने का उत्पादन होता है,

मगर देशभर में मखाने के कुल उत्पादन में बिहार की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत है।


मखाना को देवताओं का भोजन कहा गया है, जन्म हो या मृत्यु,शादी हो या गोदभराई। व्रत उपवास हो या यज्ञ हवन मखाने का हर जगह विशेष महत्व रहता है।


इसे आर्गेनिक हर्बल भी कहते हैं क्योंकि यह बिना किसी रासायनिक खाद या कीटनाशी के उपयोग के उगाया जाता है।


 
कटोरे में मखाने
 

अधिकांशतः ताकत की दवाइयाँ मखाने के योग से बनायी जाती हैं


मखाने से अरारोट भी बनता है. ....मखाना बनाने के लिए इसके बीजों को फल से अलग कर धूप में सुखाते है।


बीजों को बड़े-बड़े लोहे के कढ़ावों में सेंका जाता है।


कढ़ाव में सिंक रहे बीजों को 5-7 की संख्या में हाथ से उठा कर ठोस जगह पर रख कर लकड़ी के हथोड़ो से पीटा जाता है।


इस तरह गर्म बीजों का कड़क खोल तेजी से फटता है और बीज फटकर लाई (मखाना) बन जाता है।


जितने बीजों को सेका जाता है, उनमें से केवल एक तिहाई ही मखाना बनते हैं।


औषधीय उपयोग


किडनी को मजबूत बनाये मखाने का सेवन किडनी और दिल की सेहत के लिए फायदेमंद है।


डाइबिटीज रोगी इसका सेवन कर लाभ पा सकते है


मखाना कैल्शियम से भरपूर होता है इसलिए जोड़ों के दर्द, विशेष अर्थराइटिस के मरीजों के लिए इसका सेवन काफी फायदेमंद होता है।


मखाने के सेवन से तनाव कम होता है


रात में सोते समय दूध के साथ मखाने का सेवन करने से नींद न आने की समस्या दूर हो जाती है और तनाव कम होता है।


इसके अलावा मखाना को दूध में मिलाकर खाने से दाह (जलन) में आराम मिलता है।


 



क्या मखानों का नियमित सेवन करने से शरीर की कमजोरी दूर होती है?

  • हां

  • ना


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