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1984 सिख विरोधी दंगा मामला: पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को मौत की सजा देने की मांग

  • लेखक की तस्वीर: संवाददाता
    संवाददाता
  • 18 फ़र॰
  • 2 मिनट पठन

ब्यूरो | फरवरी 18, 2025


नई दिल्ली | दिल्ली पुलिस ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान दो सिखों की हत्या के दोषी ठहराए गए पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार के लिए मौत की सजा की मांग की है। पिछले हफ्ते दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें इस मामले में दोषी करार दिया था।


इस मामले में सजा पर बहस 20 फरवरी को होगी, क्योंकि वकीलों की हड़ताल के कारण आज सुनवाई नहीं हो सकी।

पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार

सज्जन कुमार फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं, जहां वे दंगों से जुड़े एक अन्य हत्या के मामले में पहले ही सजा काट रहे हैं। उन पर 1 नवंबर 1984 को दिल्ली के सरस्वती विहार इलाके में जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या के लिए भीड़ को उकसाने और उसका नेतृत्व करने का आरोप है।


पीड़ित परिवार ने भी सज्जन कुमार को फांसी देने की मांग की है। पुलिस ने अदालत में सजा के संबंध में अपनी दलीलें लिखित रूप में प्रस्तुत की हैं।


कुमार के वकील ने बताया कि वकीलों की हड़ताल के कारण आज बहस नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल पुलिस की लिखित दलीलों का जवाब अदालत में देंगे।


गौरतलब है कि दिसंबर 2023 में अदालत ने इस मामले में दोनों पक्षों की अंतिम बहस सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने कहा कि सज्जन कुमार के नेतृत्व में भीड़ ने सिखों की संपत्तियों को लूटा, आगजनी की और बड़े पैमाने पर हिंसा की।


अभियोजन पक्ष के मुताबिक, जसवंत सिंह और उनके बेटे की हत्या के बाद उनके घर को भी लूटकर जला दिया गया। हालांकि, पूर्व कांग्रेस सांसद ने अपने बयान में सभी आरोपों से इनकार किया था।


अदालत ने अपने फैसले में कहा कि मामले में पर्याप्त सबूत हैं, जो यह साबित करते हैं कि सज्जन कुमार न केवल भीड़ का हिस्सा थे, बल्कि उन्होंने उसका नेतृत्व भी किया था।


गौरतलब है कि सज्जन कुमार इससे पहले भी सिखों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने, सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने और दंगों में शामिल होने के आरोपों में दोषी ठहराए जा चुके हैं।


1984 के सिख विरोधी दंगे, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को उनके दो सिख अंगरक्षकों द्वारा की गई हत्या के बाद भड़के थे। ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद हुए इन दंगों में हजारों सिखों की जान चली गई थी।


2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद, 1984 के दंगों से जुड़े मामलों की दोबारा जांच के लिए तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया था।


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