ब्यूरो | फरवरी 21, 2025
लखनऊ | उत्तर प्रदेश सरकार को हाथरस भगदड़ की न्यायिक जांच रिपोर्ट सौंप दी गई है। राज्य मंत्रिमंडल ने इसे वर्तमान बजट सत्र के दौरान विधानसभा में पेश करने की मंजूरी दे दी है, जिससे इस त्रासदी से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जा सकेगी।
यह दर्दनाक घटना 2 जुलाई 2024 को फुलारी गांव में हुई थी, जब स्वयंभू आध्यात्मिक गुरु भोले बाबा (सूरज पाल) द्वारा आयोजित सत्संग के दौरान हजारों श्रद्धालु उमड़ पड़े। प्रशासन ने 80,000 लोगों की अनुमति दी थी, लेकिन वहां दो लाख से अधिक भक्त पहुंच गए, जिससे भगदड़ मच गई। अव्यवस्थित भीड़ और निकास मार्गों पर अचानक हुए धक्कामुक्की के कारण 121 लोगों की मौत हो गई, जिनमें कई महिलाएं और बच्चे शामिल थे।

इस हादसे के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने 3,200 पन्नों की चार्जशीट तैयार की, जिसमें 11 लोगों को आरोपी बनाया गया। हालांकि, इस मामले में सबसे विवादास्पद पहलू यह रहा कि आयोजक भोले बाबा का नाम चार्जशीट में शामिल नहीं किया गया। उनकी अनुपस्थिति पर सवाल उठाए जा रहे हैं, और पीड़ित परिवारों के साथ-साथ कई कानूनी विशेषज्ञ भी इस पर नाराजगी जता रहे हैं। इस पर बचाव पक्ष के वकील एपी सिंह ने पुष्टि की कि धार्मिक नेता के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है।
यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा, जहां एक याचिका में एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में स्वतंत्र जांच की मांग की गई थी। हालांकि, 12 जुलाई 2024 को, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट जाने की सलाह दी। कोर्ट ने माना कि यह एक गंभीर घटना है, लेकिन साथ ही कहा कि हाई कोर्ट इस मामले को निपटाने में पूरी तरह सक्षम है।
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