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विदेश भेजने के नाम पर फर्जी मार्कशीट बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश, सात आरोपी गिरफ्तार

लेखक की तस्वीर: संवाददाता संवाददाता

संवाददाता | फरवरी 18, 2025


पीलीभीत (यूपी): उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो युवाओं को फर्जी मार्कशीट के जरिए विदेश भेजने का झांसा देकर ठगता था। इस मामले में सात आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।


एएसपी विक्रम दहिया का बयान

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) विक्रम दहिया ने बताया, "यह गिरोह मुख्य रूप से पुरनपुर और मधोटांडा क्षेत्रों के युवाओं को निशाना बनाता था। विदेश भेजने का लालच देकर उनसे भारी रकम वसूली जाती थी। पुलिस ने गिरोह के पास से सात मोबाइल फोन, तीन लैपटॉप, एक कार, 60 से अधिक फर्जी शैक्षणिक प्रमाणपत्र और नकदी बरामद की है।"

 
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मामले की शुरुआत: पीड़ित की शिकायत

मधोटांडा थाना क्षेत्र के वीरखेड़ा गांव निवासी गुरप्रीत सिंह ने इस गिरोह के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने अपनी शिकायत में चार लोगों पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया था।


गुरप्रीत के अनुसार, आरोपियों ने उनके छोटे भाई पवनदीप सिंह को विदेश भेजने के लिए 20 लाख रुपये की मांग की थी। उन्होंने शुरुआत में 5 लाख रुपये अग्रिम भुगतान के रूप में दे दिए और कुछ दस्तावेज भी जमा कराए।


लेकिन जब उन्हें संदेह हुआ, तो उन्होंने अपने भाई को विदेश भेजने का इरादा छोड़ दिया। सिंह ने आरोप लगाया कि गिरोह ने पवनदीप के लिए एक फर्जी स्नातक की मार्कशीट भी तैयार कर दी, जबकि वह सिर्फ 9वीं कक्षा तक पढ़ा था।


धमकी और जबरन वसूली

14 फरवरी को आरोपी गुरप्रीत सिंह के घर पहुंचे और उन्हें बंदूक दिखाकर धमकाया। इसके बाद उनसे जबरन 8 लाख रुपये और वसूले गए।


पुलिस कार्रवाई और गिरोह का पर्दाफाश

मामले की जांच के बाद एएसपी के नेतृत्व में पुलिस ने पुरनपुर और मधोटांडा थाना क्षेत्रों में कई स्थानों पर छापेमारी की। इस दौरान सात आरोपी - नरेंद्र पांडेय, सिमरनजीत सिंह, मलकीत सिंह, कुलवंत सिंह, हरसिमरन सिंह, रविंद्र सिंह और एम सिंह को गिरफ्तार किया गया।


गिरफ्तारी के बाद सभी आरोपियों को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।


गिरोह का तरीका और कबूलनामा

पूछताछ के दौरान आरोपियों ने कबूल किया कि वे पिछले पांच सालों से इस फर्जीवाड़े में लिप्त थे। वे फर्जी मार्कशीट और अन्य जाली दस्तावेज तैयार कर छात्रों को विदेश भेजने के नाम पर ठगी करते थे। खासकर, हिंदी माध्यम के छात्रों और कम पढ़े-लिखे युवाओं को वे अपने जाल में फंसाते थे।

 

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