top of page

लखनऊ में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का दौरा: 'संघर्ष से सफलता तक की कहानी है प्रेरणा का स्रोत

  • लेखक की तस्वीर: ब्यूरो
    ब्यूरो
  • 1 मई
  • 2 मिनट पठन



लखनऊ। गुरुवार को शहर एक विशेष अवसर का साक्षी बना जब भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ उत्तर प्रदेश की राजधानी के एक दिवसीय दौरे पर पहुंचे। उनका आगमन बक्शी का तालाब स्थित वायुसेना स्टेशन पर हुआ, जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उनका औपचारिक स्वागत किया।

यह दौरा एक विशिष्ट आयोजन के लिए था—राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के जीवन पर आधारित पुस्तक ‘चुनौतियां मुझे पसंद हैं’ के विमोचन का कार्यक्रम, जो लखनऊ के एकेटीयू परिसर में आयोजित किया गया। इस गरिमामयी अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य, विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, पूर्व राज्यपाल कलराज मिश्र सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। आध्यात्मिक गुरु स्वामी चिदानंद सरस्वती भी इस अवसर पर मंच पर विराजमान थे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संबोधन:

मुख्यमंत्री ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम महाकुंभ के बाद प्रदेश में आयोजित पहला प्रमुख सार्वजनिक आयोजन है जिसमें उपराष्ट्रपति स्वयं उपस्थित हुए हैं। उन्होंने पुस्तक की तुलना समुद्र मंथन से निकले 14 रत्नों से की, यह बताते हुए कि इसमें आनंदीबेन पटेल के जीवन के विविध पहलुओं को 14 अध्यायों में संजोया गया है।

मुख्यमंत्री ने राज्यपाल की यात्रा को "शून्य से शिखर तक" की प्रेरणादायक कहानी बताया। उन्होंने कहा कि एक किसान परिवार में जन्मी बेटी का उस दौर में शिक्षा प्राप्त कर शिक्षिका, फिर प्रधानाचार्य, मंत्री, मुख्यमंत्री और अंततः राज्यपाल बनना—यह आत्मसंघर्ष, मूल्यों और संकल्प की जीवंत मिसाल है।

योगी ने दी लोकतंत्र पर टिप्पणी:

मुख्यमंत्री ने कहा, “हम अकसर किसी व्यक्ति की ऊंचाई को देखते हैं, लेकिन उस ऊंचाई की नींव में छुपे संघर्ष को नजरअंदाज कर देते हैं। यह पुस्तक उसी संघर्ष का जीवंत चित्रण है।” उन्होंने इसे लोकतंत्र की शक्ति का प्रतीक बताते हुए कहा कि लोकतंत्र केवल बोलने की स्वतंत्रता से नहीं चलता, बल्कि सुनने की इच्छा से भी मजबूत होता है।

उपराष्ट्रपति की सक्रियता का किया उल्लेख:

सीएम योगी ने उपराष्ट्रपति की सक्रियता की सराहना करते हुए कहा कि हाल में स्वास्थ्य ठीक न होने के बावजूद वे पुनः पूरे देश के दौरों में लग गए हैं। उन्होंने महाकुंभ में उपराष्ट्रपति की भागीदारी को “प्रेरणादायक और आयोजन को वैश्विक ऊंचाई देने वाला कदम” बताया।

यह कार्यक्रम न केवल एक पुस्तक विमोचन था, बल्कि एक प्रेरणा से भरे जीवन के उत्सव और लोकतंत्र के जीवंत विचार का उत्सव भी था।

Comments


Join our mailing list

bottom of page