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यूरिया और डिटर्जेंट से तैयार हो रहा नकली पनीर, चमक बढ़ाने के लिए टिनोपाल का इस्तेमाल

  • लेखक की तस्वीर: संवाददाता
    संवाददाता
  • 15 अक्टू॰
  • 3 मिनट पठन

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प्रदेश में मिलावटखोर बड़े पैमाने पर यूरिया और डिटर्जेंट मिलाकर नकली पनीर तैयार कर रहे हैं। इसे आकर्षक और चमकदार दिखाने के लिए टिनोपाल और ‘आला’ जैसे रासायनिक पदार्थों का प्रयोग किया जा रहा है, जिससे इसकी विषाक्तता और भी बढ़ जाती है। बताया जा रहा है कि यह तरीका राजस्थान से आए कारीगरों द्वारा सिखाया जा रहा है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) ने इन कारीगरों की धरपकड़ के लिए पुलिस की सहायता मांगी है। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसा पनीर लोगों के स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है और कई गंभीर बीमारियों का कारण बन रहा है।

एफएसडीए की ओर से आठ अक्टूबर से शुरू किया गया जांच अभियान 17 अक्टूबर तक चलेगा। इस दौरान पनीर, खोवा और उससे बनी मिठाइयों की गहन जांच की जा रही है। अब तक करीब डेढ़ करोड़ रुपये की नकली सामग्री नष्ट की जा चुकी है। नोएडा, मेरठ, आगरा, लखनऊ, गोरखपुर समेत कई जिलों में हुई जांचों में पाया गया कि नकली पनीर में दूध की जगह पाम ऑयल, डिटर्जेंट, यूरिया और सिंथेटिक केमिकल का इस्तेमाल किया जा रहा है।

इस बार जांच में नया खुलासा यह हुआ है कि नकली पनीर को चमकाने के लिए टिनोपाल और ‘आला’ की भी मिलावट की जा रही है। टिनोपाल आमतौर पर कपड़ों की सफेदी बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला औद्योगिक ग्रेड रासायनिक यौगिक है, जबकि ‘आला’ सिंथेटिक कपड़ों की धुलाई और ब्लीचिंग में प्रयोग होता है। ये दोनों पदार्थ मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हैं। एफएसडीए के संयुक्त आयुक्त हरिशंकर सिंह ने बताया कि बाहर से आए कारीगर रातों में पनीर तैयार कर सुबह मंडियों में सप्लाई कर देते हैं और फिर फरार हो जाते हैं, जिससे उन्हें पकड़ना मुश्किल हो रहा है।

राजस्थान से शुरू हुआ टिनोपाल ट्रेंड अधिकारियों के मुताबिक, पहले नकली पनीर के मामले तो मिलते थे, लेकिन इस बार चमक बढ़ाने के लिए टिनोपाल और ‘आला’ मिलाने की प्रवृत्ति राजस्थान के अलवर और आसपास के जिलों से आए कारीगरों के जरिए शुरू हुई है। वजन बढ़ाने के लिए खड़िया मिट्टी तक मिलाई जा रही है। ऐसे कारीगर प्रदेश के विभिन्न जिलों में घूम-घूमकर नकली पनीर तैयार कर रहे हैं। राजस्थान सीमा से सटे जिलों में विशेष निगरानी बढ़ा दी गई है।

विशेषज्ञों की चेतावनी गैस्ट्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. सुमित रूंगटा के अनुसार, बाजार में बिक रहा ऐसा नकली पनीर शरीर के लिए “धीमा ज़हर” साबित हो सकता है। यूरिया, डिटर्जेंट, टिनोपाल और ‘आला’ जैसे रसायन शरीर में जाकर लिवर और किडनी पर असर डालते हैं, जिससे ये अंग फेल भी हो सकते हैं। लंबे समय तक सेवन से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। शुरुआती लक्षणों में पेट दर्द, अपच, उल्टी, दस्त और एलर्जी शामिल हैं।

असली और नकली पनीर की पहचान कैसे करें असली पनीर मुलायम, दूधिया खुशबू वाला और पानी में तैरने वाला होता है, जबकि नकली पनीर कठोर, रबड़ जैसा और रासायनिक गंध वाला होता है। इसे गर्म पानी में डालने पर यह घुलने या टूटने लगता है। आयोडीन टिंचर डालने पर यदि रंग नीला या काला हो जाए, तो उसमें स्टार्च की मिलावट होती है।

मिलावट की सूचना कहां दें एफएसडीए आयुक्त डॉ. रोशन जैकब ने बताया कि मिलावटखोरी पर रोक लगाने के लिए विभाग ने विशेष अभियान शुरू किया है। यदि कहीं भी खाद्य पदार्थों में मिलावट या नकली उत्पाद बनते दिखें, तो इसकी सूचना व्हाट्सएप नंबर 9793429747 पर दी जा सकती है। सूचना देने वाले की पहचान गोपनीय रखी जाएगी।

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