संवाददाता | मार्च 8, 2025
मुजफ्फरनगर। साइबर अपराधियों ने ठगी का ऐसा नायाब तरीका अपनाया कि एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी को 62 घंटे तक गुमराह कर दो लाख रुपये ठग लिए। ठगों ने पहले मुंबई क्राइम ब्रांच का फर्जी इंस्पेक्टर बनकर 'डिजिटल अरेस्ट' किया और फिर नकली अदालत का नजारा दिखाकर 'जज' बनकर जमानत के नाम पर पैसे वसूले।

कैसे हुआ साइबर फ्रॉड?
पीड़ित कंवरपाल धीमान, जो ऑडिट विभाग से रिटायर्ड हैं, ने बताया कि 23 फरवरी की शाम उन्हें एक वीडियो कॉल आई। कॉल पर एक शख्स पुलिस की वर्दी में बैठा था, जिसने खुद को अमित लाठा, क्राइम ब्रांच (नवी मुंबई) का अधिकारी बताया।
उसने कहा कि मुंबई में किसी प्रशांत गोयल नामक व्यक्ति ने 247 फर्जी बैंक खाते खोले हैं, जिनमें 198वें नंबर पर उनका भी नाम शामिल है। आरोपी ने दावा किया कि इन खातों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग की गई है, इसलिए उन्हें हिरासत में लिया जा रहा है।
'नकली अदालत' में जमानत के लिए ठगे दो लाख रुपये
डरे हुए कंवरपाल धीमान ने इस घटना की जानकारी किसी को नहीं दी। अगले दिन फिर वीडियो कॉल आई, इस बार अदालत का दृश्य दिखाया गया। जज बनकर बैठे ठग ने जमानत के लिए दो लाख दस हजार रुपये ट्रांसफर करने को कहा। घबराए पीड़ित ने एक नकली फर्म के खाते में यह रकम भेज दी।
62 घंटे तक मोबाइल रहा हैक, पुलिस ने दर्ज किया केस
पीड़ित का कहना है कि ठगों ने 62 घंटे तक उनका मोबाइल पूरी तरह से हैक कर रखा था। जब उन्हें ठगी का अहसास हुआ, तब जाकर उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। मुजफ्फरनगर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
साइबर ठगों के बढ़ते मामलों पर सतर्कता जरूरी
इस घटना ने साइबर ठगों के नए तरीकों को उजागर किया है। वीडियो कॉल के जरिए डिजिटल गिरफ्तारी और नकली अदालत दिखाकर जमानत की ठगी का यह मामला हैरान करने वाला है। पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि किसी भी अनजान कॉल या संदिग्ध वीडियो कॉल से सतर्क रहें और ठगी की सूचना तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन पर दें।
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