संवाददाता | फरवरी 12, 2025
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बहराइच के चितौरा झील पर्यटक स्थल पर लगे शिलान्यास पट्ट से महाराजा सुहेल देव के नाम के साथ ‘क्षत्रिय’ शब्द हटाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि महान व्यक्तित्वों को उनकी जाति से नहीं, बल्कि उनके कार्यों से याद किया जाता है।

यह फैसला न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने राज्यभार एकता कल्याण समिति द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनाया। याचिकाकर्ता ने महाराजा सुहेल देव के नाम के साथ ‘भर’ शब्द जोड़ने की भी मांग की थी, जिसे अदालत ने अस्वीकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह विषय एकेडमिक बहस का हिस्सा हो सकता है, लेकिन जनहित याचिका में इस पर विचार नहीं किया जा सकता।
अदालत ने टिप्पणी की कि याची संगठन जाति-आधारित है और उसने महाराजा सुहेल देव के किसी विशेष समुदाय से संबंध का कोई ठोस प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया। न्यायालय ने कहा, "हम याची की भावनाओं का सम्मान करते हैं, लेकिन किसी ऐतिहासिक व्यक्तित्व की पहचान को जाति तक सीमित करना जनहित में नहीं है।"
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