अंकुश यादव | संपादकीय | जनवरी 28, 2025
हर हिन्दुस्तानी के मन में एक आस्था बसती है, ऐसा विश्वास जो उसे पुण्य धर्म और संस्कार से जोड़ता है और जब ये आस्था संगम के पवित्र जल में मिलती है तब बनता है एक भव्य दृश्य। बहुत सारे व्यक्ति कुम्भ मेले में दर्शन करने आते हैं, पवित्र स्नान करने आते हैं लेकिन यह मात्र एक मेला नहीं है। यह ऐसा संगम है जो भारत की एकता, भारत की धरोहर, भारत की संस्कृति, भारत की अर्थव्यवस्था इन सबको एक साथ जोड़ता है।
महाकुंभ मेला एक धार्मिक आयोजन है, जो हर 12 साल में चार पवित्र स्थानों - हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में होता है। यह मेला समुद्र मंथन से जुड़ी पौराणिक कथा पर आधारित है, विशेष रूप से बृहस्पति के कुंभ राशि में प्रवेश पर आयोजित होता है। इस बार प्रयागराज में लगने वाला महाकुम्भ 13 जनवरी से शुरु होकर 26 फरवरी 2025 तक चलेगा। प्रयागराज में लगने वाला महाकुम्भ तीन नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम त्रिवेणी पर लगा हुआ है। इस मेले में लगभग 45 करोड़ लोगों के आने की उम्मीद जताई जा रही है। यह महाकुम्भ न केवल भारत भी समृद्ध धार्मिक विरासत को विश्व पटल पर एक अलग पहचान बना रहा है बल्कि इससे भारत की इकोनामी में बूस्ट मिलेगा।

जहां एक तरफ 2013 के प्रयागराज महाकुम्भ में लगभग 12000 करोड़ का रेवेन्यू जनरेट हुआ था और लगभग 6 लाख लोगों को रोजगार प्रदान किया वहीं 2019 के प्रयागराज कुम्भ में 1.2 लाख करोड़ का योगदान हमारी इकोनामी में हुआ। लेकिन महाकुम्भ 2025 में ऐसी उम्मीद है कि टैक्स, रेन्टल चार्ज और सर्विस चार्ज को मिलाकर सरकार को लगभग 25000 करोंड़ का रेवेन्यू प्राप्त होगा। टूरिज्म, लोकल सेल और सर्विसेज से लगभग 2-3 लाख करोड़ के ट्रान्जेक्सन होगा। इंडिया की अलग - अलग इन्डस्ट्री लगभग 3000 करोड़ रूपये अपनी मार्केटिंग और ब्रांडिंग के लिए के लिए खर्च करेंगी जिसका सीधा असर भारत की अर्थव्यस्था पर पड़ेगा।
महाकुम्भ से न केवल बड़ी इन्डस्ट्रीज बल्कि स्ट्रीट वेंडर्स, आर्टिस्ट, नाविक और छोटे दुकानदार इन 45 दिनों के महाकुम्भ से आगामी लगभग 6 महीने का लाभ कमा सकेंगें। इस महाकुम्भ से डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रूप से लगभग 45000 परिवारों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध होगा।
महाकुम्भ न केवल प्रयागराज तक सीमित रहने वाला बल्कि अयोध्य़ा धाम, वाराणसी का काशी विश्वनाथ कोरिडोर, मथुरा का कृष्ण जन्म भूमि, बौद्ध तीर्थस्थल समेत आस पास के अन्य धार्मिक और ऐतिहासिक टूरिस्ट प्लेसेज पर भी इसका सीधा असर देखा जा सकता है। विदेशी पर्यटकों से लगभग 2.2 बिलियन डालर रेवेन्यू सरकार को मिलेगा जो निश्चित रूप से इकोनमी को बूस्ट करेगा।
2019 के कुम्भ के मुकाबले 2025 के महाकुम्भ में यूपी सरकार ने 6,990 करोड़ रूपये का इनवेस्टमेंट किया है जिसमें दर्शनार्थियों के लिए स्वच्छता, सुरक्षा औऱ वर्ल्ड क्लास की सुविधा देने का दावा का किया जा रहा है। महाकुम्भ 2025 के दृष्टिगत भारतीय रेलवे 13,000 नई ट्रेनें शुरु की गई और जम्मू रेल डिवीजन की स्थापना की है जिससे कि पूरे भारत के परिवहन में दीर्घकालीन असर देखने को मिलेगा। 500 करोड़ से अधिक के बजट से गंगा पर सिक्स लेन ओवरब्रिज और लगभग 275 करोड़ बजट से फोर लेन रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण किया गया है जो कि तात्कालिक और दीर्घकालीन इन्वेस्टमेंट के रूप में भारत की अर्थव्यव्सथा को मजबूत करेगा। इससे इन्फ्रास्ट्रक्चर और ईज के साथ साथ कनेक्टिविटी भी बढ़ेगी और आने वाले समय में कम्फर्ट भी होगा।
इस प्रकार महाकुम्भ 2025 न केवल धार्मिक रूप से बल्कि आर्थिक रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा।
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