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भारतीय नौसेना के पराक्रम का प्रतीक बनेगा लखनऊ का ‘नौसेना शौर्य संग्रहालय’, सीएम योगी ने दिए निर्माण के निर्देश

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    ब्यूरो
  • 30 अक्टू॰
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को संस्कृति विभाग की समीक्षा बैठक में राजधानी लखनऊ में प्रस्तावित ‘नौसेना शौर्य संग्रहालय’ की प्रस्तुति का अवलोकन किया और इसके शीघ्र निर्माण के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यह संग्रहालय भारतीय नौसेना की अदम्य वीरता, गौरवशाली अभियानों और हिन्द महासागर क्षेत्र में भारत की सामुद्रिक क्षमता का जीवंत प्रतीक बनेगा। योगी ने कहा कि समुद्र भारत की प्राचीन सभ्यता का मंथन स्थल रहा है, और भारतीय नौसेना उसी महान परंपरा की आधुनिक अभिव्यक्ति है। लखनऊ में बनने वाला यह संग्रहालय उस गौरव को आमजन तक पहुंचाने का एक प्रेरणास्रोत बनेगा।

बैठक में बताया गया कि संग्रहालय की रूपरेखा एक जहाज के अमूर्त आकार में तैयार की जाएगी। इसमें रेलिंग, पोर्थोल जैसी खिड़कियां, नौसैनिक वास्तुकला और समुद्री प्रतीकों का उपयोग करते हुए इसे विशिष्ट स्वरूप दिया जाएगा। परिसर में इंटरप्रिटेशन सेंटर, सेंट्रल डेक, ओपन एयर मेमोरियल, थीमैटिक वॉकवे, प्रदर्शनी गैलरी, फाउंटेन और लाइट-एंड-साउंड एरिना जैसे आधुनिक आकर्षण विकसित किए जाएंगे। डिजाइन को ऊर्जा-संवेदनशील बनाया गया है, जिसमें प्राकृतिक रोशनी, वेंटिलेशन और हरित निर्माण तकनीकों का समावेश होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि संग्रहालय को केवल देखने योग्य नहीं बल्कि ‘अनुभव का केंद्र’ बनाया जाए, जहां आगंतुक इतिहास को महसूस कर सकें। उन्होंने निर्देश दिया कि इसमें डिजिटल, इंटरएक्टिव और इमर्सिव तकनीकों का प्रयोग किया जाए ताकि दर्शक नौसेना के युद्ध अभियानों, तकनीकी प्रगति और शौर्य गाथाओं को प्रत्यक्ष अनुभव कर सकें। साथ ही, छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ी जानकारी भी संग्रहालय में प्रमुख रूप से प्रदर्शित करने के निर्देश दिए गए।

दो चरणों में विकसित होगी परियोजना प्रस्तुति में बताया गया कि परियोजना दो प्रमुख हिस्सों में विकसित की जा रही है, ‘आईएनएस गोमती शौर्य स्मारक’ और ‘नौसेना शौर्य वाटिका’। ‘आईएनएस गोमती (F-21)’ गोदावरी श्रेणी का स्वदेशी मिसाइल फ्रिगेट है, जिसने भारतीय नौसेना में 34 वर्षों तक सेवा दी और ‘ऑपरेशन कैक्टस’ तथा ‘ऑपरेशन पराक्रम’ जैसे अभियानों में अहम भूमिका निभाई। इसे अब संरक्षित कर संग्रहालय परिसर में प्रदर्शित किया जाएगा, ताकि नागरिक और युवा उसकी बहादुरी और गौरवगाथा को प्रत्यक्ष रूप से देख सकें।

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