ब्यूरो | फरवरी 11, 2025
प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के व्यक्तियों को भू-माफिया घोषित करने पर आपत्ति जताई है। कोर्ट ने कहा कि इससे व्यक्ति की प्रतिष्ठा और गरिमा प्रभावित होती है। इसी के साथ कोर्ट ने याची को भू-माफिया सूची में शामिल करने पर रोक लगाते हुए यूपी सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 6 मार्च को होगी।

याची के आरोप और कोर्ट की टिप्पणी
आगरा निवासी बनवारी लाल ने याचिका दायर कर दावा किया कि स्कूल की जमीन पर अतिक्रमण का आरोप बेबुनियाद था, फिर भी उन्हें भू-माफिया सूची में डाल दिया गया। जिला प्रशासन ने भी उनका नाम हटाने की सिफारिश की थी, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। कोर्ट ने कहा कि सरकारी आदेश केवल अतिक्रमण हटाने के लिए कार्यबल बनाने की बात करता है, किसी व्यक्ति को भूमि हड़पने वाला घोषित करने का कानूनी आधार नहीं है।
अवैध निर्माण पर सरकार की योजना असंतोषजनक
इस बीच, इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अवैध निर्माण रोकने की यूपी सरकार की योजना पर असंतोष जताया है। कोर्ट ने सरकारी हलफनामे को असंतोषजनक मानते हुए बेहतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने पूछा कि 12 साल पहले अवैध घोषित निर्माणों पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई? सरकार को स्पष्ट करना होगा कि वह अवैध निर्माण रोकने और शमन प्रक्रिया के लिए क्या ठोस कदम उठा रही है। मामले की अगली सुनवाई 12 फरवरी को होगी।
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