प्रदेश में कफ सिरप निर्माण में लापरवाही, जांच के लिए केंद्रीय टीम सक्रिय
- संवाददाता

- 14 अक्टू॰
- 2 मिनट पठन

उत्तर प्रदेश में कफ सिरप निर्माण से जुड़ी कई कंपनियों द्वारा गुणवत्ता मानकों की अनदेखी की जा रही है। कई फर्में जुगाड़ के सहारे चल रही हैं, जबकि कुछ के पास आवश्यक दस्तावेज भी अधूरे मिले हैं। यह खुलासा हाल ही में हुई जांचों के दौरान हुआ है। स्थिति को देखते हुए अब केंद्र सरकार ने भी सख्ती दिखाते हुए अपनी टीमों को प्रदेश में जांच के लिए भेजा है। सोमवार को केंद्रीय टीम ने हापुड़ में पांच नमूने लिए और जल्द ही अन्य जिलों में भी रैंडम जांच की जाएगी।
राजस्थान और मध्य प्रदेश में कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामलों के बाद यूपी में जांच अभियान तेज किया गया है। प्रदेश में कुल 37 कंपनियां कफ सिरप निर्माण से जुड़ी हैं, जिनमें से 17 सक्रिय रूप से सिरप बना रही हैं। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) की टीमों ने अब तक इन कंपनियों से करीब 780 नमूने जांच के लिए लैब भेजे हैं। शुरुआती रिपोर्टों में कई कंपनियों में स्वच्छता मानकों का पालन न होने, उपकरणों की कमी और दस्तावेजों की गड़बड़ियों का खुलासा हुआ है। नतीजतन लखनऊ, सहारनपुर, मथुरा और अलीगढ़ की एक-एक फर्म में उत्पादन रोक दिया गया है, जबकि बाकी को नोटिस जारी किए गए हैं।
केंद्रीय टीम ने शुरू की सघन जांच
दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एफएसडीए की केंद्रीय टीम सोमवार से प्रदेशभर में सक्रिय हो गई है। टीम ने हापुड़ की एक फर्म से पांच नमूने लिए और आगे अन्य जिलों में जाकर सिरप निर्माण इकाइयों और मेडिकल स्टोर्स से भी सैंपल लेगी। जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषी कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
कोडिन सिरप का अवैध कारोबार उजागर
लखनऊ में बरामद कोडिन युक्त कफ सिरप का जाल पूरे प्रदेश में फैला हुआ है। गिरफ्तार आरोपियों ने खुलासा किया कि इन सिरप का उपयोग दवा के बजाय नशे के लिए किया जा रहा था। जांच में पाया गया कि लखनऊ से बड़ी मात्रा में यह सिरप पूर्वांचल और अवध के विभिन्न जिलों में भेजा गया। कुछ खेप नेपाल और बांग्लादेश तक पहुंचने के भी सबूत मिले हैं। रायबरेली और सीतापुर में 2600 शीशियां बरामद की गईं, जबकि सोमवार को बहराइच और सुल्तानपुर में भी कोडिन सिरप पकड़े गए हैं। दोनों जिलों में संबंधित मेडिकल स्टोरों पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं।





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