संवाददाता | जनवरी 27, 2025
महाराष्ट्र | महाराष्ट्र के पुणे और आसपास के क्षेत्रों में दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल बीमारी गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। संक्रमितों की संख्या 100 पार हो गई है, जिनमें 17 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। सोलापुर में इस बीमारी से एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य विभाग ने इस प्रकोप को गंभीरता से लेते हुए जांच और इलाज के प्रयास तेज कर दिए हैं।

बीमारी की स्थिति और जांच
GBS के 101 मामलों में से अधिकांश पुणे नगर निगम और पिंपरी चिंचवड़ क्षेत्र से हैं। इनमें 19 मरीज 9 साल से कम उम्र के हैं, जबकि अधिकांश वयस्क और वरिष्ठ नागरिक भी प्रभावित हुए हैं। संदिग्ध पानी के स्रोतों की जांच के लिए नमूने रासायनिक और जैविक परीक्षण के लिए भेजे गए हैं।
प्रारंभिक जांच में नोरोवायरस और कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी संक्रमण की पुष्टि हुई है। हालांकि, डेंगू, जीका और चिकनगुनिया के लिए नमूनों ने नकारात्मक परिणाम दिखाया है। खड़कवासला बांध के पास एक कुएं में ई.कोली बैक्टीरिया की उच्च मात्रा पाई गई, लेकिन इसके उपयोग की पुष्टि नहीं हुई है।
स्वास्थ्य विभाग की सिफारिशें
अधिकारियों ने नागरिकों से पानी उबालकर पीने और भोजन को गर्म करके सेवन करने की सलाह दी है। अस्पतालों में GBS के मरीजों के लिए अलग से ICU बेड आरक्षित किए गए हैं। पुणे नगर निगम ने निजी अस्पतालों में मरीजों की निगरानी के लिए चिकित्सा अधिकारियों को तैनात किया है।
सरकार का कदम
डिप्टी सीएम अजित पवार ने घोषणा की है कि GBS से प्रभावित मरीजों का इलाज मुफ्त में किया जाएगा। इसके तहत मरीजों को दवाएं और अन्य आवश्यक सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी। कमला नेहरू अस्पताल में गरीब मरीजों के लिए 'सेहरी गरीब योजना' के तहत विशेष इंतजाम किए गए हैं।
बीमारी और इसके प्रभाव
गिलियन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ बीमारी है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिकाओं पर हमला करती है, जिससे कमजोरी, सुन्नता और कभी-कभी पक्षाघात हो सकता है। पुणे में इस बीमारी के बढ़ते मामलों ने स्वास्थ्य अधिकारियों और नागरिकों के बीच चिंता बढ़ा दी है।
स्थिति पर नजर
स्वास्थ्य विभाग ने अब तक 25,000 से अधिक घरों का सर्वे किया है और मामलों में बढ़ोतरी के कारणों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है। अधिकारियों ने स्थिति पर नजर बनाए रखने और उचित कदम उठाने का आश्वासन दिया है।
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