ब्यूरो | फरवरी 7, 2025
देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी में आज महापौर समेत 100 पार्षद पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे। नगर निगम में इस समारोह के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। शपथ ग्रहण के साथ ही नए बोर्ड का कार्यकाल आधिकारिक रूप से शुरू हो जाएगा। इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडेय समेत कई प्रमुख हस्तियां मौजूद रहेंगी।

शपथ ग्रहण समारोह की भव्य तैयारियां
गुरुवार को नगर आयुक्त नमामी बंसल ने स्वयं समारोह स्थल का निरीक्षण किया। पूरे नगर निगम परिसर को रंगीन रोशनी और टेंट से सजाया गया है। इस बार आयोजन पर 12 से 15 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है, जो पिछले शपथ ग्रहण समारोह की तुलना में लगभग दोगुना है।
शपथ के बाद पहली बोर्ड बैठक
शपथ ग्रहण के तुरंत बाद नए बोर्ड की पहली बैठक आयोजित होगी, जिसमें महापौर और पार्षदों का औपचारिक परिचय होगा और कार्ययोजनाओं पर चर्चा की जाएगी। इससे पहले, नगर निगम की आठ टीमें दिनभर वीआईपी मेहमानों को निमंत्रण पत्र बांटने और फोन के जरिए निमंत्रण भेजने में व्यस्त रहीं।
नए बोर्ड के सामने चुनौतियां
शहर की नई सरकार को कार्यभार संभालते ही कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान देना होगा:
कूड़ा प्रबंधन: घर-घर कूड़ा उठान, सार्वजनिक स्थानों की सफाई, ट्रांसफर स्टेशन और कूड़ा निस्तारण प्लांट को व्यवस्थित करना प्रमुख चुनौतियां हैं।
अतिक्रमण और ट्रैफिक जाम: फुटपाथ और सड़कों से अतिक्रमण हटाने के लिए बड़े स्तर पर अभियान चलाना होगा।
जल निकासी और बाढ़ प्रबंधन: बारिश के दौरान जलभराव की समस्या से निपटने के लिए नालियों की सफाई और जल निकासी तंत्र को मजबूत बनाना अनिवार्य होगा।
बुनियादी सुविधाएं: शहर में सार्वजनिक शौचालय, पार्किंग सुविधाएं, वेंडिंग जोन, खेल मैदान और सामुदायिक केंद्रों की कमी को दूर करना होगा।
अधूरी योजनाओं को पूरा करने की चुनौती
नए बोर्ड को पिछली सरकार की अधूरी योजनाओं को धरातल पर उतारने की जिम्मेदारी भी निभानी होगी। इनमें रोड स्वीपिंग मशीन खरीद, शीशमबाड़ा अपग्रेडेशन, स्मार्ट वेंडिंग जोन, स्मार्ट फूड कोर्ट, मिनी तालाब का सौंदर्यीकरण, साइकिल ट्रैक का निर्माण जैसी कई परियोजनाएं शामिल हैं, जो अब तक सिर्फ कागजों में सिमटी हुई हैं।
क्या बदलेगा नए बोर्ड के साथ?
देहरादून नगर निगम का नया नेतृत्व शहरी विकास में कितना प्रभावी साबित होगा, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा। लेकिन यह तय है कि स्वच्छता, यातायात, जल निकासी और बुनियादी सुविधाओं में सुधार की राह आसान नहीं होगी। अब देखना होगा कि महापौर और पार्षद इन चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं और शहर को कितनी जल्दी सुधार की दिशा में ले जाते हैं।
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