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जातीय जनगणना पर बोलें अखिलेश: "पीडीए की एकता ही सौ प्रतिशत जीत की गारंटी"

  • लेखक की तस्वीर: ब्यूरो
    ब्यूरो
  • 1 मई
  • 2 मिनट पठन



लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार के जातीय जनगणना कराने के फैसले का स्वागत करते हुए इसे सामाजिक न्याय की दिशा में एक अहम कदम बताया। गुरुवार को मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि यह निर्णय केवल शुरुआत है, लेकिन इससे सामाजिक न्याय की नई राह खुलती है।

अखिलेश यादव ने जोर देकर कहा कि चुनावों में निष्पक्षता बनी रहे और जातीय जनगणना ईमानदारी से कराई जाए। उन्होंने सरकार को आगाह करते हुए कहा कि "ये लोग कुछ भी कर सकते हैं", इसलिए सतर्कता जरूरी है।

सपा प्रमुख ने इसे इंडिया गठबंधन की वैचारिक जीत बताया और कहा कि देश संविधान से चलेगा, किसी व्यक्ति की मनमानी से नहीं। उनका मानना है कि अब बहस निजी क्षेत्र में भी सामाजिक प्रतिनिधित्व और नौकरी में आरक्षण पर होनी चाहिए। उन्होंने श्रमिकों को बधाई देते हुए कहा कि आज श्रमिक वर्ग सबसे ज्यादा शोषण का शिकार है—आउटसोर्सिंग, कमीशनखोरी और मशीन जैसी हालत।

उन्होंने दावा किया कि देश का श्रमिक वर्ग 99 फीसदी पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) समुदाय से आता है। इसी के आधार पर उन्होंने पीडीए की एकजुटता को चुनावी जीत की कुंजी बताया—"अगर 90 फीसदी पीडीए एकजुट हो जाए, तो जीत सौ फीसदी तय है।"

इस अवसर पर सपा में नए नेताओं के शामिल होने का भी स्वागत किया गया। विशेष रूप से लाल चंद गौतम का जिक्र करते हुए अखिलेश ने कहा कि वे ऐसे नेता हैं जिनकी सक्रियता ने भाजपा को आरामदेह दफ्तरों से निकालकर सड़कों पर उतरने को मजबूर कर दिया। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं को समझा दिया गया है कि किसी की भावना आहत न हो। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या भाजपा भी अपने कार्यकर्ताओं को यही सीख देगी महापुरुषों का सम्मान करना?

सपा में शामिल हुए पूर्व सांसद अरविंद ने भी अपील की कि किसी राजनीतिक नेता की तुलना महापुरुषों से न की जाए, क्योंकि वे दिव्य और अद्वितीय व्यक्तित्व होते हैं। इसी मौके पर बदरुद्दीन खान ने भी सपा की सदस्यता ग्रहण की।

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