चारधाम यात्रा में नकली कस्तूरी, शेर के पंजे और शिलाजीत बेचकर ठगे जा रहे श्रद्धालु, प्रशासन बेपरवाह
- संवाददाता
- 26 मई
- 2 मिनट पठन

चारधाम यात्रा के दौरान गंगोत्री से लेकर यमुनोत्री धाम तक नकली कस्तूरी, शेर के पंजे और शिलाजीत की अवैध बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। खुद को उत्तराखंड या नेपाल का निवासी बताकर ये फर्जी कारोबारी श्रद्धालुओं को भ्रमित कर महंगे दामों पर नकली उत्पाद बेच रहे हैं, लेकिन वन विभाग और जिला प्रशासन की ओर से इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही।
जैसे ही चारधाम यात्रा शुरू होती है, गंगोत्री, यमुनोत्री, जनपद मुख्यालय और प्रमुख तीर्थस्थलों के पास बड़ी संख्या में लोग एकत्र होकर मुख्य पार्किंग, मंदिरों और विश्राम स्थलों के आसपास बैठकर नकली कस्तूरी, रुद्राक्ष, शिलाजीत और शेर के पंजे बेचते हैं।इनमें से कई लोग कस्तूरी को उच्च हिमालयी क्षेत्र से लाया गया बताकर उस पर इत्र डाल देते हैं ताकि उसकी खुशबू से यात्रियों को भ्रमित किया जा सके।
फर्जी दावे, गुमराह करते विक्रेता
स्थानीय निवासी सतेंद्र सेमवाल के अनुसार, ये विक्रेता महाराष्ट्र, हरिद्वार, हैदराबाद जैसे राज्यों से आकर स्वयं को स्थानीय निवासी बताकर नकली जड़ी-बूटियों की बिक्री कर रहे हैं। वहीं, शिलाजीत और रुद्राक्ष के नाम पर दावा किया जाता है कि ये नेपाल से लाए गए हैं।एक मुखी से लेकर पंचमुखी रुद्राक्ष के नाम पर श्रद्धालुओं से भारी रकम वसूली जा रही है।
प्रशासन की लापरवाही सवालों के घेरे में
इन नकली वस्तुओं की खुलेआम बिक्री ने न सिर्फ राज्य की छवि पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि दुर्लभ वनस्पतियों और वन्य जीवों की अस्मिता को भी खतरे में डाल दिया है। इसके बावजूद प्रशासन और वन विभाग इस पर सख्त रवैया नहीं अपना रहे।
वन प्रभाग अधिकारी (DFO) डीपी बलूनी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, “हां, कुछ लोग नकली सामान बेचते हैं और उनके खिलाफ समय-समय पर कार्रवाई की जाती है।” हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि कार्रवाई न के बराबर है और ये फर्जीवाड़ा हर साल बढ़ता ही जा रहा है।
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