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चमोली हिमस्खलन के बाद उत्तराखंड पर नया खतरा, 13 ग्लेशियर झीलें बन सकती हैं तबाही का कारण

लेखक की तस्वीर: संवाददाता संवाददाता

ब्यूरो | मार्च 1, 2025


देहरादून: उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा में हुए हिमस्खलन के बाद अब राज्य में मौजूद 13 ग्लेशियर झीलें चिंता का विषय बन गई हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने इन झीलों की पहचान की है, जिनमें से पांच को अत्यधिक जोखिम वाली श्रेणी में रखा गया है। इनमें चमोली जिले की वसुधारा झील का अध्ययन पहले ही किया जा चुका है, जबकि अब पिथौरागढ़ जिले की चार झीलों का अध्ययन किया जाएगा।

 
हिमस्खलन
 

ग्लेशियर झीलों से बढ़ रहा खतरा

उत्तराखंड का उच्च हिमालयी क्षेत्र आपदाओं के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है। 2013 की केदारनाथ त्रासदी में चौराबाड़ी ग्लेशियर की झील के टूटने को प्रमुख कारणों में से एक माना गया था। इस घटना के बाद वैज्ञानिकों और प्रशासन का ध्यान हिमालय में स्थित ग्लेशियर झीलों पर गया। NDMA ने उत्तराखंड के चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और टिहरी जिलों में ऐसी 13 झीलों को चिह्नित किया है, जिनसे भविष्य में बड़ा खतरा पैदा हो सकता है।


पहले चरण में पांच झीलों का अध्ययन

सरकार ने पहले चरण में पांच उच्च जोखिम वाली झीलों के अध्ययन का फैसला किया है। इनमें से वसुधारा झील पर अध्ययन पूरा हो चुका है और उसके आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है। अब विशेषज्ञों की टीम पिथौरागढ़ जिले की चार झीलों का अध्ययन करने के लिए भेजी जाएगी।


विशेषज्ञों की टीम करेगी विस्तृत अध्ययन

वसुधारा झील का अध्ययन करने वाली टीम में उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, भूस्खलन प्रबंधन एवं न्यूनीकरण केंद्र, वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान, ITBP, NDRF और SDRF के कुल 15 विशेषज्ञ शामिल थे। अध्ययन में पाया गया कि यह झील 900 मीटर लंबी, 600 मीटर चौड़ी और 38 से 40 मीटर गहरी है। वर्तमान में इसमें से दो स्थानों से पानी बह रहा है, जिसकी निरंतर निगरानी की जा रही है।


आने वाले समय में बढ़ सकती है सतर्कता

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण इन झीलों से जुड़े आंकड़ों का अध्ययन कर रहा है और जल्द ही आवश्यक निगरानी और सुरक्षा उपायों को लागू किया जाएगा। विशेषज्ञों की टीम द्वारा पिथौरागढ़ की झीलों का विस्तृत अध्ययन करने के बाद रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिससे इन झीलों के संभावित खतरों को समय रहते रोका जा सके।

 


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