सभी धर्मो में देवताओं, शक्तियों का अलग अलग रूप में वर्णन किया गया है। प्रत्येक कालखंड में इश्वरूपी मनुष्य के बारे में लिखा -बताया गया है। 20 वीं शताब्दी में ऐसे ही महाराष्ट्र के अहमदनगर में शिर्डी गांव में 'साईं बाबा' की चर्चा सामने आई। हर धर्म के लोगों द्वारा उन्हें ईश्वरीय रूप बताया जाता है। हिन्दू उन्हें कृष्ण का अवतार बताते है, वहीं मुस्लमान भी उनमे गहरी आस्था रखते है। इन दो धर्मो के आलावा देश विदेश के अन्य धर्मो के लोग भी साईं में आस्था रखते हैं।
साईं बाबा के असली नाम, धर्म और जाति जानने के लिए लोगों ने अथक प्रयास किये लेकिन साईं खुद को एक मनुष्य के तौर पर दर्शाते थे। उनका मानना था कि धर्म - जाति से परे हर इन्सान एक मनुष्य है। लोग सालों से साईं बाबा की पूजा कर रहे हैं, लेकिन कोई नहीं जानता कि उनका असली नाम क्या था। कपड़े पहनने के तरीके के कारण उन्हें फकीर बुलाया जाने लगा।
एक चमत्कार ऐसे है कि जब कुछ लोगों के साईं बाबा की शक्ति के बारे में सुना , तो वो उनकी एक तस्वीर खींचना चाहते थे। साईं बाबा ने उस वक्त कोई भी तस्वीर लेने से मना कर दिया। लेकिन बाद में वह अपने पैरों की फोटो खिंचवाने के लिए तैयार हो गए। भक्तों में से एक ने छल से उनकी पूरी लंबाई वाली तस्वीर लेने की कोशिश की लेकिन जब उन्होंने वह तस्वीर देखी, तो उसमें केवल साईं बाबा के पैर दिख रहे थे।
बताया जाता है कि जब साईं बाबा शिरडी आते थे, तो वह अपना ज्यादातर समय एक नीम के पेड़ के नीचे बिताते थे। जिसे अब गुरूस्थान के नाम से जाना जाता है। एक कहानी के अनुसार, जब कुछ ग्रामीणों ने पेड़ के पास की जमीन खोदना शुरू की , तो साईं बाबा ने उन्हें रूकने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि यह पूर्वजों का विश्राम स्थल है। अगर आप कभी शिरडी की यात्रा करते हैं और आपको पेड़ से गिरे नीम के पत्ते चखने का मौका मिले , तो आप इसका स्वाद चखकर हैरान रह जाएंगे। दिलचस्प बात यह है कि यहां नीम की पत्तियों का स्वाद कड़वा नहीं बल्कि मीठा होता है। ऐसा माना जाता है कि जिन लोगों को नीम की पत्ती चखने का मौका मिलता है , वे स्वस्थ रहते हैं और उन्हें कोई बीमारी नहीं होती।
शिरडी, जो कि देश में देखे जाने वाले सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है। हर साल लाखों लोग शिर्डी के साई बाबा के दर्शन करने पहुंचते हैं। साईंनाथ पर लोगों की आस्था इस कदर है, कि उनके दर्शन के लिए लोग 7-8 घंटे भी लाइन में खड़े रहकर इंतजार करते हैं। मुंबई से लगभग 300 किमी दूर स्थित शिरडी का साईं बाबा का घर माना जाता है।
शिर्डी शहर के बारे में जानकर आपको हैरानी होगी। वर्तमान में शिरडी में शराब पीने के नियम अलग हैं। शहर में न तो शराब बिकती है और न ही पीने की अनुमति है। यह शहर पूरी तरह से शराब मुक्त है। साथ ही शिरडी में साक्षरता दर देश में सबसे ज्यादा है। 2011 की जनगणना के अनुसार, शहर में औसत साक्षरता दर 70 प्रतिशत थी। आपको बता दें कि यह राष्ट्रीयता साक्षरता दर 59.5 प्रतिशत से कहीं ज्यादा है।
आपको बता दें कि शिरडी में साईं बाबा मंदिर का निर्माण 1922 में किया गया था। साईं बाबा के निधन के चार साल बाद यह मंदिर बनाया गया था। मंदिर का नीजि स्वामित्व श्रीमंत गोपालराव के पास था, जो नागपुर के एक करोड़पति थे। वह साईं बाबा के बड़े भक्त थे। उनके निधन के बाद मंदिर बनाने का फैसला किया गया। फिलहाल मंदिर का स्वामित्व और संचालन श्री साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट के पास है।
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