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एसबीआई जंगल कौड़िया शाखा में 71.20 लाख का घोटाला, जांच रिपोर्ट में खुलासा

लेखक की तस्वीर: ब्यूरोब्यूरो

ब्यूरो | मार्च 7, 2025


गोरखपुर। एसबीआई की जंगल कौड़िया शाखा में हुए बड़े वित्तीय घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। बैंक में हुए इस फर्जीवाड़े की जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए हैं। जांच अधिकारी सुरेश कुमार द्वारा तैयार 78 पन्नों की रिपोर्ट में 71.20 लाख रुपये के गबन की पुष्टि हुई है।

 
एसबीआई
 

कैसे हुआ घोटाला?

आरोपियों ने फर्जी पेंशन भुगतान और जाली ऋण स्वीकृत कर बैंक को भारी चूना लगाया। इस घोटाले में तत्कालीन शाखा प्रबंधक भास्कर भूषण, कैशियर अमरेंद्र सिंह और कैंटीन संचालक पंकज मणि त्रिपाठी की संलिप्तता पाई गई। वर्ष 2024 में इस मामले में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद पुलिस ने कैशियर और शाखा प्रबंधक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। वहीं, 16 जनवरी 2025 को कैंटीन संचालक ने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया।


एफडी घोटाला भी आया सामने

वर्ष 2024 में रसूलपुर चकिया निवासी राजू सिंह ने बैंक अधिकारियों से शिकायत की थी कि उनकी जानकारी के बिना तीन लाख रुपये की एफडी तोड़कर पूरी राशि पंकज मणि त्रिपाठी के खाते में स्थानांतरित कर दी गई। बैंक जांच में यह आरोप सही पाया गया, जिसके बाद तत्कालीन शाखा प्रबंधक, कैशियर और कैंटीन संचालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। इस शिकायत के बाद कई अन्य खाताधारकों ने भी इसी तरह की शिकायतें कीं।


जांच में फर्जी ऋण स्वीकृति का भी खुलासा

जांच रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि आरोपियों ने 13 मृत पेंशनधारकों के नाम पर फर्जी पेंशन जारी की। इसके अलावा, पेंशन और पशुधन ऋण के नाम पर जालसाजी कर बड़ी रकम निकाली गई। तीन व्यक्तियों के नाम पर केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) के फर्जी ऋण स्वीकृत किए गए।


रिश्वतखोरी का मामला: पेशकार की जमानत अर्जी खारिज

इसी बीच, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कैंपियरगंज तहसील में तैनात तत्कालीन पेशकार अरविंद कुमार श्रीवास्तव की जमानत अर्जी विशेष न्यायाधीश ओमकार शुक्ल ने खारिज कर दी। अरविंद पर आरोप है कि उन्होंने संपत्ति विवाद मामले में आदेश पारित कराने के लिए शिकायतकर्ता सुबाष सिंह से दो लाख रुपये रिश्वत की मांग की थी।


अधिकारियों की कार्रवाई जारी

इस घोटाले की व्यापकता को देखते हुए एसबीआई लखनऊ प्रधान कार्यालय के अधिकारी भी मामले की जांच में जुटे हैं। जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है।

 


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