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उत्तराखंड में वीकेंड बना ट्रैफिक का टेस्ट: नैनीताल, रामनगर और हरिद्वार में घंटों जाम, पर्यटक बेहाल

  • लेखक की तस्वीर: संवाददाता
    संवाददाता
  • 4 दिन पहले
  • 2 मिनट पठन

उत्तराखंड में इस वीकेंड पर्यटन का सैलाब ऐसा उमड़ा कि सड़कों पर हालात बेकाबू हो गए। नैनीताल, रामनगर, जिम कॉर्बेट, हरिद्वार, ऋषिकेश, मसूरी और देहरादून जैसे प्रमुख पर्यटक स्थलों की ओर जाने वाली सड़कों पर वाहन रेंगते नजर आए। कई इलाकों में जाम की लंबाई 20 किलोमीटर से भी ज्यादा रही और लोग घंटों तक वाहनों में फंसे रहे।

रामनगर में 22 किलोमीटर लंबा जाम

सबसे गंभीर स्थिति रामनगर से जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क जाने वाली सड़क पर देखने को मिली, जहां करीब 21 से 22 किलोमीटर लंबा ट्रैफिक जाम शनिवार रात से लेकर रविवार देर रात तक बना रहा। इस रास्ते पर करीब 10–12 घंटे तक वाहन फंसे रहे। पुलिस ने हालात संभालने की कोशिश की, लेकिन असफल रही।

गर्जिया मंदिर बना जाम की जड़

जाम की एक बड़ी वजह रामनगर के पास स्थित गर्जिया देवी मंदिर रही, जहां रविवार को हजारों श्रद्धालु पहुंचे। बड़ी संख्या में वाहनों को अव्यवस्थित तरीके से पार्क कर देने के कारण मार्ग अवरुद्ध हो गया। इसके अलावा उत्तर प्रदेश से आए पर्यटकों की भी भारी भीड़ थी, जिससे हालात और बिगड़ गए।

हरिद्वार-ऋषिकेश और मसूरी रोड पर भी स्थिति गंभीर

इसी तरह हरिद्वार से ऋषिकेश और देहरादून से मसूरी की ओर जाने वाले मार्गों पर भी लंबा जाम लगा रहा। देहरादून और हल्द्वानी जैसे शहरों से निकलने वाले मार्ग भी जाम की चपेट में रहे। पर्यटक बुरी तरह फंसे नजर आए और कई लोगों ने सोशल मीडिया के जरिए अपनी नाराजगी जाहिर की।

सिंगल रोड और अतिक्रमण बना सिरदर्द

राज्य के ज्यादातर पर्यटन स्थलों की ओर जाने वाली सड़कें सिंगल लेन हैं, जिन पर भीड़ बढ़ते ही स्थिति बिगड़ जाती है। स्थानीय लोगों और पर्यटकों का कहना है कि अब हालात हर वीकेंड पर बदतर हो रहे हैं। सड़कों पर अनियंत्रित पार्किंग, अवैध रिजॉर्ट्स और वाहनों की अधिकता जाम की मुख्य वजह बन चुकी हैं।

प्रशासन सवालों के घेरे में

पर्यटकों का सवाल है कि क्या हर वीकेंड पर उन्हें घंटों जाम में फंसे रहना होगा? क्या पर्यटन पुलिस और विभाग इसके लिए तैयार नहीं? लगातार लग रहे जाम ने उत्तराखंड प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

जरूरत है ठोस योजना की

पर्यटन सीजन की शुरुआत से पहले ही हालात इतने गंभीर हैं तो आने वाले हफ्तों में स्थिति और भी बिगड़ सकती है। ऐसे में जरूरत है कि उत्तराखंड सरकार और पर्यटन विभाग स्थायी समाधान की ओर कदम बढ़ाए,जैसे मल्टीलेवल पार्किंग, वैकल्पिक मार्गों का निर्माण, ट्रैफिक कंट्रोल रूम की स्थापना और श्रद्धालुओं-पर्यटकों के लिए अलग-अलग रूट मैनेजमेंट की व्यवस्था।


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