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उत्तराखंड: पंचायत चुनाव फिर टले, हरिद्वार को छोड़ शेष जिलों में प्रशासक नियुक्त

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    ब्यूरो
  • 3 दिन पहले
  • 1 मिनट पठन

उत्तराखंड में पंचायत चुनाव एक बार फिर टल गए हैं। राज्य सरकार ने हरिद्वार को छोड़कर प्रदेश के अन्य सभी जिलों में पंचायतों में प्रशासक नियुक्त कर दिए हैं। इसका मतलब है कि अब इन जिलों में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के स्थान पर शासन द्वारा नियुक्त अधिकारी ग्राम पंचायतों का कार्यभार संभालेंगे।

क्यों टले चुनाव?

जानकारी के मुताबिक, पंचायत चुनावों को टालने के पीछे परिसीमन और आरक्षण प्रक्रिया का लंबा खिंचाव एक बड़ी वजह रही है। पंचायतीराज विभाग के अधिकारियों का कहना है कि समय पर चुनाव की तैयारियां पूरी नहीं हो सकीं, इसलिए फिलहाल प्रशासक व्यवस्था लागू की गई है।

हरिद्वार को क्यों रखा गया अलग?

हरिद्वार जिला पहले ही पंचायतीराज अधिनियम की धारा 36 के अंतर्गत विशेष प्रावधानों के तहत आता है। यहां पंचायतों का कार्यकाल कुछ समय पहले ही समाप्त हुआ था और वहां पहले से प्रशासक व्यवस्था लागू है। अब पूरे राज्य में यही व्यवस्था लागू हो गई है।

राजनीतिक हलचल और आशंकाएं

चुनाव टलने को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस और अन्य दलों का आरोप है कि सरकार जानबूझकर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर कर रही है। वहीं सरकार का तर्क है कि चुनाव निष्पक्ष, व्यवस्थित और कानूनी रूप से ठीक ढंग से कराना ही प्राथमिकता है।

आगे की राह

पंचायतीराज विभाग द्वारा अगले चरण की तैयारी की जा रही है जिसमें परिसीमन, वार्ड निर्धारण और आरक्षण प्रक्रिया को जल्द पूरा कर चुनाव की नई तारीखों की घोषणा की जा सकती है। फिलहाल ग्रामीण स्तर पर शासन व्यवस्था नौकरशाही के हाथों में रहेगी।

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